Mughal History: इस बीमारी की वजह से हुई थी शाहजहां की मौत, 8 साल तक तड़पने के बाद ऐसे गंवाई थी जान
Mughal Empire War of Succession : मुगल बादशाह शाहजहां को अंदाजा नहीं था कि वो अपनी आंखों के सामने बर्बादी की दास्तां का गवाह बनेगा. उसके बेटे गद्दी के लिए आपस में लड़ रहे थे. वो अपने प्रिय बेटे दाराशिकोह को खो चुका था. आगरा के लालकिले से ताजमहल निहारते निहारते उसकी मौत हो गई जो रहस्य के चादर में लिपटी हुई है.
Mughal Emperor Shah jahan death reason: मुगलों के इतिहास में शाहजहां के शासन को स्वर्णयुग के तौर पर देखा जाता है. हालांकि वो बदनसीब बादशाह साबित हुआ. उसके शासन में मुगलों ने विस्तार किया, लाल किला और ताजमहल जैसी नायाब भेंट हिंदुस्तान को मिली लेकिन वो अपने बेटे से ही मात खा गया. शाहजहां ने कभी सोचा नहीं रहा होगा जिस बादशाहत को हासिल करने के लिए वो दरबारी षड़यंत्र (mughal court conspiracy) का हिस्सा बना कुछ वैसा ही उसके साथ होने वाला है. उसके अंतिम दिन दुर्दिन में बीते. अपनी आंखों के सामने बेटों के संघर्ष (War of Succession) का गवाह बना और 22 जनवरी 1666 को अंतिम सांस ली.
पेशाब रोग से इंतकाल
यहां हम बात करेंगे शाहजहां की मौत (shahjahan death)कैसे हुई, क्या गद्दी के लिए वो अपने बेटों के संघर्ष से व्यथित हुआ. क्या वो दाराशिकोह की मौत (darashikoh death) को बर्दाश्त नहीं कर सका. क्या औरंगजेब ने अपने बाप का ख्याल नहीं किया या खुद औरंगजेब(mughal emperor aurangzeb) ने उसे जहर देकर मारने की कोशिश की थी. शाहजहां की मौत के बारे में इतिहासकारों की राय अलग अलग है. शाहजहां के अवसान की कहानी 1658 से शुरू होती है जब औरंगजेब तलवार के बल पर गद्दी हासिल करने का फैसला कर चुका था.
शाहजहां की तबीयत जब 1658 में खराब हुई तो अफवाह फैल गई कि उसकी मौत हो चुकी है वहीं से औरंगजेब खुल कर उत्तराधिकार की लड़ाई में नजर आने लगता है. कुछ इतिहासकारों के मुताबिक शाहजहां को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उसके अपने बेटे उत्तराधिकार की लड़ाई का हिस्सा बनेंगे. उसे यह नहीं आभास था कि वो अपनी आंखों के सामने अपने बेटों को मरते हुए देखेगा. इस तरह के हालात को वो झेल ना सका और दुर्दिन अवस्था में उसकी मौत हो गई. हालांकि इतिहासकारों का एक तबका इससे इत्तेफाक नहीं रखता.
आगरा या दिल्ली में मौत पर सस्पेंस
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक औरंगजेब जह उत्तराधिकार की लड़ाई में विजयी बनकर उभरा तो वो खुद शाहजहां से छुटकारा पाने की कोशिश करने लगा. यहां हम सिलसिलेवार उसकी मौत के बारे में समझने की कोशिश करेंगे. 22 जनवरी को 1666 को शाहजहां की मौत आगरा के किले में मुसम्मन बुर्ज पर हुई थी. ऐसा माना जाता है कि वो पेशाब की बीमारी से पीड़ित था. उसकी वजह से कमजोर भी हो चुका था.
आर के शर्मा जैसे इतिहासकार मानते हैं कि शाहजहां की मौत दिल्ली के लालकिले में हुई थी. शाहजहां को जब पेशाब की दिक्कत हुई तो उसे हकीमों ने स्थान बदलने का सुझाव दिया था और वो आगरा से दिल्ली आ गया.
जहर देकर मारने की कोशिश
शाहजहां की मौत के संबंध में दूसरा तर्क यह भी है कि औरंगजेब किसी भी कीमत पर शाहजहां से छुटकारा पाना चाहता था. उसे लगता था कि शाहजहां के बने रहने का अर्थ यह होगा कि वो कभी गद्दी पर नहीं बैठ सकेगा क्योंकि दाराशिकोह उसका बड़ा भाई होने के साथ साथ शाहजहां का प्रिय भी था. उसने षड़यंत्र के जरिए शाहजहां को मारने की कोशिश की.
ऐसा कहा जाता है कि उसने दो दफा हकीमों के जरिए जहर भिजवाया लेकिन जिन हकीमों पर उसे भरोसा था वो शाहजहां के वफादार निकले और जहर को पीकर खुद को मौत के गले लगा लिया.