Lok Sabha Bypolls: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने धर्मेंद यादव को टिकट दिया है. धर्मेंद्र यादव का यहां पर मुकाबला बीजेपी के दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' और बीएसपी के शाह आलम उर्फ गुडडू जमाली से होगा. बीजेपी ने दिनेश लाल यादव को टिकट देकर यादव वोटों को अपने पाले में करने की कोशिश की है तो बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारकर सपा के वोटबैंक में सेंध लाने का प्रयास किया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें आजमगढ़ में यादव और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासा संख्या है. ये किसी भी उम्मीदवार की हार-जीत तय करने का माद्दा रखते हैं. बीजेपी और बसपा की इस चाल से क्या सपा को नुकसान होगा, ये तो जब चुनाव के नतीजे आएंगे तब मालूम पड़ेगा, लेकिन इन दोनों पार्टियों ने अखिलेश यादव के दल को आजमगढ़ में दम लगाने पर मजबूर कर दिया है. 


राजनीतिक गलियारे में ऐसी चर्चा थी कि सपा आजमगढ़ से डिंपल यादव को टिकट दे सकती है, लेकिन ऐसा हो सकता है कि बीजेपी और बसपा के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा ने सपा को अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर किया हो. 


दरअसल, मौजूदा स्थिति में आजमगढ़ सपा के लिए सेफ सीट नहीं है, ऐसे में पार्टी हार के डर से डिंपल को उतारने का खतरा नहीं उठाई. पॉलिटिक्ल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सपा को आजमगढ़ में हारने का डर है. अगर ऐसा होता है तो माना जाएगा मुसलमान सपा से दूर जा रहे हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को वोट नहीं देंगे. 


ये भी पढ़ें- सपा ने रामपुर से आजम खान की पत्नी को दिया टिकट, आजमगढ़ में डिंपल की जगह इन्हें उतारा


हार के बाद आजमगढ़ में एक्टिव रहे निरहुआ


निरहुआ ने 2019 में आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन अखिलेश से हार गए थे. उन्हें सपा प्रमुख के 60.36% वोटों का लगभग आधा हिस्सा मिला. निरहुआ को टिकट देने से पता चलता है कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गुड बुक्स में बने हुए हैं. हाल के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले, उन्होंने 2022 और 2027 में भी आदित्यनाथ को सीएम के रूप में समर्थन देने वाले वीडियो जारी किए थे.


बीजेपी के एक नेता ने कहा कि निरहुआ स्वाभाविक पसंद थे. उनके पास स्टारडम है और वह युवा हैं. वह पूर्वी यूपी के युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं. 2019 में चुनाव हारने के बाद भी वह निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और इसलिए लोग उन्हें जानते हैं. साथ ही बीजेपी नेता ने कहा, निरहुआ खुद यादव हैं, ऐसे में उन्हें उस समुदाय का समर्थन मिलेगा. 


आजमगढ़ के एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा कि 2019 में अखिलेश की भारी जीत केवल इसलिए हुई क्योंकि मुसलमानों और दलितों ने उन्हें वोट दिया क्योंकि वह मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं और वह बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे. जबकि मुलायम अब लगभग तस्वीर से बाहर हैं, बसपा और सपा भी लंबे समय से अलग हो चुके हैं. 



ये भी पढ़ें-  कोरोना वायरस के नए मामलों ने फिर बढ़ाई टेंशन, लगातार दूसरे दिन 4 हजार से ज्यादा केस आए सामने


 


यादव आजमगढ़ में मतदाताओं का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, जिनकी संख्या लगभग चार लाख है. इसके बाद मुस्लिमों की संख्या तीन लाख और दलितों की संख्या 2.75 लाख है. बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार शाह आलम उर्फ ​​गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा है. इससे भी सपा का समर्थन भी कमजोर होगा.