UP सरकार के `मदरसा सर्वे` से राजनीति में भूचाल, जानें आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों से कागज दिखाने को कहा है. जल्दी ही प्रदेश के मदरसों पर एक खास सर्वे होने जा रहा है. इस सर्वे की खबर से राजनीतिक भूचाल आ गया है.
Madarsa Survey UP: यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों से कागज दिखाने को कहा है. जल्दी ही प्रदेश के मदरसों पर एक खास सर्वे होने जा रहा है. इस सर्वे की खबर से राजनीतिक भूचाल आ गया है. यूपी सरकार मदरसों से उनके कागज मांग रही है और विपक्ष कागज नहीं दिखाएंगे, का राग अलाप रहा है. मदरसों के सर्वे को कुछ नेता इसे मिनी NRC कह रहे हैं, तो कुछ इसे संवैधानिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं.
यूपी सरकार चाहती है मदरसों का उत्थान
यूपी सरकार का कहना है कि इस सर्वे के माध्यम से, वो मदरसों के उत्थान की योजना बनाना चाहती है. लेकिन असम में अवैध मदरसों पर जिस तरह की कार्रवाई हो रही है, उसे देखते हुए एक खास वर्ग में डर का माहौल है. दरअसल इस सर्वे में कई ऐसे सवाल पूछे जाएंगे, जिसके जवाब इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों ने अभी तक नहीं दिए थे. आइए आपको वो FORM बताते हैं, जिसमें मदरसों से 11 सवाल पूछे गए हैं. इन सवालों से पता चलता है कि आखिर योगी सरकार, प्रदेश के इन मदरसों के बारे में क्या जानना चाहती है.
योगी सरकार का प्लान क्या है?
गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का ये सर्वे 5 अक्टूबर तक पूरा होना है. सर्वे टीम में जिले के SDM, बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी होंगे. इस सर्वे टीम को जिले के ADM लीड करेंगे. जिले के हर तहसील के मदरसों की रिपोर्ट ADM ही जिलाधिकारी को देंगे. 10 अक्टूबर तक हर जिलाधिकारी के पास रिपोर्ट जमा करनी है. फिर 25 अक्टूबर तक सभी जिलाधिकारियों को सर्वे रिपोर्ट सरकार को देनी है. तो इस तरह से प्रदेश के हर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की सर्वे रिपोर्ट यूपी सरकार के पास आ जाएगी. अब इसके बाद, यूपी सरकार क्या कदम उठाएगी, ये सोचने वाली बात है. यूपी सरकार ने ये कदम बहुत सोच समझकर उठाया है. इस सर्वे के पीछे वजह क्या है, ये समझने से पहले आपको देश और उत्तर प्रदेश में मदरसों से जुड़े कुछ आंकड़े देखने चाहिए.
अल्संख्यक मामलों के मंत्रालय के मुताबिक देश में 24 हजार मदरसे हैं. इनमें से 4 हजार 878 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं. लेकिन एक गैर सरकारी आंकड़े के मुताबिक केवल एक संगठन, जमीयत उलेमा ए हिंद ही, देश में 20 हजार से ज्यादा मदरसे चला रहा है. सरकारी और गैर सरकारी आंकड़ों में जमीन आसमान का अंतर है. इसीलिए शायद यूपी सरकार प्रदेश के मदरसों का हिसाब किताब रखना चाहती है और इसके जरिए अवैध रूप से चल रहे मदरसों पर लगाम भी लगाई जा सकेगी. क्योंकि अवैध मदरसों में बच्चों के साथ हो रहे बुरे सलूक की शिकायतें, कई मुस्लिम संगठन, समय-समय पर करते रहे हैं.
असम में चल रहा बुलडोजर
जहां तक यूपी की बात है तो सरकारी आंकड़ा कहता है कि यूपी में कुल 16 हजार 461 मदरसे हैं. इनमें 558 मदरसों को सरकारी सहायता मिलती है. लेकिन एक गैर सरकारी आंकड़े के मुताबिक यूपी में 40 से 50 हजार मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं. आंकड़े में अंतर इसलिए है क्योंकि लगभग हर मस्जिद या संस्था के अपने खुद के कई मदरसे चलते हैं. मदरसों के सर्वे के पीछे यूपी सरकार का मकसद ये जानना भी हो सकता है कि, प्रदेश में कितने मदरसे चोरी छिपे चल रहे हैं. असम में कई अवैध मदरसों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई हो रही है. इन मदरसों का संबंध वहां गिरफ्तार किए गए, कई संदिग्ध आतंकियों से थे. यूपी सरकार भी इस सर्वे के माध्यम से ऐसे मदरसों पर निगरानी रख सकती है, जिन पर संदेह हो. हालांकि अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी है.
योगी सरकार ने तैयार किए 11 सवाल
बता दें कि उत्तर प्रदेश में मदरसों से जुड़ी जानकारी पाने के लिए योगी सरकार ने 11 सवालों की एक लिस्ट तैयार की है. सर्वे में हर जिलाधिकारी की जिम्मेदारी ये है, कि वो अपने जिले के हर गैर मान्यता प्राप्त मदरसे से इन 11 सवालों का जवाब लें. यूपी सरकार के इन 11 सवालों से मदरसे की पूरी कुंडली सरकार के पास पहुंच जाएगी. गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जानकारी मिलने के बाद, सरकार को पूरी उम्मीद है, कि उसे अवैध मदरसों की भी जानकारी मिलेगी.
आइए आपको बताते हैं वो 11 सवाल, जिनके जवाब मदरसों को देने हैं.
पहला सवाल- पहले कॉलम में मदरसे का पूरा नाम पूछा गया है.
दूसरा सवाल है कि मदरसे का संचालन कौन सी संस्था करती है? इस सवाल के जवाब के जरिए सरकार, मदरसे का संचालन करने वाली संस्थाओं पर नजर रख सकती है.
तीसरा सवाल ये पूछा गया है कि मदरसा कब बना था? इससे सरकार को ये पता चलेगा कि मदरसे कितने दिनों से चल रहे थे और कितने छात्र अब तक इसमें पढ़ चुके होंगे.
चौथा सवाल ये पूछा गया है कि मदरसा जहां बना है, वो संपत्ति निजी है, या किराए पर ली गई है? ये जानकारी मिलने के बाद सरकार को पता चलेगा कि मदरसा कानूनी रूप से सही जगह बना है, या फिर अवैध तरीके से बनाया गया है.
पांचवा सवाल मदरसे की व्यवस्था से जुड़ा हुआ है. इस सवाल के जरिए सरकार जानना चाहती है कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं, या नहीं. इसके जरिए सरकार मदरसे की पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था के बारे में जानकारी हासिल कर पाएगी.
छठा सवाल ये है कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कितनी है. जिससे मदरसे की क्षमता के बारे में पता चलेगा.
सातवां सवाल ये है कि मदरसे में कुल शिक्षकों की संख्या कितनी है. इससे सरकार ये जानना चाहती है कि मदरसे में आने वाले बच्चों को सही शिक्षा मिल रही है या नहीं.
सरकार का आठवां सवाल ये है कि मदरसे में किस तरह का पाठ्यक्रम रखा गया है. इसके जवाब के जरिए सरकार को ये पता चलेगा कि मदरसे में क्या पढ़ाया जा रहा है. यहां आपको ये जानना जरूरी है कि असम में, कुछ मदरसों के शिक्षकों पर, बच्चों को जिहादी ट्रेनिंग देने का आरोप है. यूपी सरकार अपने इस सवाल के जरिए बच्चों को दी जा रही शिक्षा पर नजर रख सकती है.
इस लिस्ट का 9वां सवाल मदरसे की आय से जुड़ा है. इसके जरिए सरकार ये जानना चाहती है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की फंडिंग कहां से हो रही है. दरअसल यूपी में केवल 558 मदरसों को सरकारी सहायता मिलती है. ऐसे में गैर मान्यता प्राप्त मदरसे कैसे चल रहे हैं, सरकार ये जानना चाहती है.आपको बता दें कि असम में कुछ मदरसों की फंडिंग ऐसे लोगों से हो रही थी, जिनके संबंध AQIS और अंसारुल्ला बांग्ला टीम जैसे आतंकी संगठनों से थे. यकीनन यूपी सरकार अपने प्रदेश में ऐसा नहीं चाहती होगी.
इस लिस्ट में 10वां सवाल मदरसे के छात्रों के भविष्य से जुड़ा है. यूपी सरकार ये जानना चाहती है कि मदरसे में जो बच्चे पढ़ने आ रहे हैं, वो केवल मदरसे में ही पढ़ते हैं, या फिर किसी और स्कूल से भी पढ़ाई करते हैं. ज्यादातर मदरसों में धार्मिक शिक्षा ही दी जाती है. सरकार चाहती है कि मदरसों के बच्चे धर्म ही नहीं, वैज्ञानिक शिक्षा भी हासिल करें.
11वें सवाल के रूप में मदरसों से ये भी पूछा गया है कि क्या उनका संबंध किसी NGO या किसी अन्य संस्था है? सरकार इसके जरिए गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मिलने वाली मदद पर नजर रखना चाहती है, ताकि कोई ब्लैक लिस्टेड संगठन मदरसों से ना जुड़ पाए.
ओवैसी को सरकार के इरादों पर शक
यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के मुद्दे पर असदुद्दीन ओवैसी भड़क गए हैं. उनका कहना है कि यूपी में होने वाला ये सर्वे मदरसों का NRC है. वो ये भी कह रहे हैं कि यूपी के प्राइवेट मदरसों की जानकारी हासिल करने का मतलब उन पर शक करना है. मदरसों के सर्वे को ओवैसी मुस्लिमों को बदनाम करने की साजिश बता रहे हैं. यूपी सरकार ने ये साफ कर दिया है, कि वो मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना चाहती है. इस सर्वे के माध्यम से उसे मदरसों की स्थिति, बच्चों के ज्ञान और शिक्षकों के हालात के बारे में सही जानकारी मिल पाएगी. लेकिन ओवैसी जैसे कुछ नेता, इसको धर्म के एक ऐसे चश्मे से देखते हैं, जिसमें सरकार के हर कदम में उन्हें मुस्लिमों को बदनाम करने की साजिश नजर आती है.
करीब 1 साल पहले अलीगढ़ के एक मदरसे का वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो में मदरसे के बच्चों को चेन से बांधकर रखा गया था. ये वीडियो एक ऐसे मदरसे का था, जो गैर मान्यता प्राप्त था और अवैध तरीके से बनाया गया था. इस घटना के बाद ही अवैध मदरसों को लेकर मुस्लिम संगठनों में गुस्सा था. सरकार भी चाहती थी कि मदरसों की व्यवस्था और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की ठोस जानकारी उनके पास हो. यूपी सरकार का मदरसों के सर्वे वाला कदम, यही सोचकर उठाया गया है.
दरअसल देश में मदरसों पर दो तरह के विचार हैं. कुछ मुस्लिम संगठन चाहते हैं कि मदरसे जैसे चल रहे हैं, वैसे ही चलतें रहें और कुछ अन्य मुस्लिम संगठन चाहते हैं कि मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव होने चाहिए. उनका मानना है कि मदरसों का आधुनिकीकरण होना चाहिए, ताकि वहां पढ़ने वाले बच्चे आज के समाज के साथ जुड़कर, भविष्य बेहतर बना सकें. हमारे देश में मदरसों का इतिहास बहुत पुराना है. ये हमारे समाज का हिस्सा हैं.
मदरसा एक अरबी शब्द है. जिसका अर्थ है पढ़ना. इसका एक अर्थ उस स्थान से भी है जहां पढ़ाई होती है. मदरसे में मूलरूप से इस्लाम से जुड़ी धार्मिक शिक्षाएं दी जाती हैं. मदरसे में कुरान, हदीस और शरिया के विषय में पढ़ाया जाता है, हालांकि कुछ मदरसों में आधुनिक विषय के पाठ्यक्रम भी शामिल किए गए हैं. भारत में मदरसों की शुरुआत 8वीं शताब्दी में हुई थी. उस वक्त मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर कब्जा किया था, तब उसने वहां मदरसे बनवाए थे. वर्ष 1192 में मोहम्मद गोरी ने अजमेर में एक मदरसा बनवाया था. इसके अलावा मुगलिया सल्तनत के दौर में अलग अलग जगहों पर कई मदरसे बनवाए जाते रहे.
कुछ ऐसा है मदरसों से जुड़ा आंकड़ा
मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी भी गंभीर हैं. वर्ष 2018 में उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था कि वो एक ऐसा भारत देखना चाहते हैं, जहां मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर हो. मदरसों की शिक्षा व्यवस्था आज के जमाने के मुकाबले बहुत पुरानी हो चुकी है. इसी वजह से पिछले कुछ सालों में देश के मुस्लिम परिवार भी अपने बच्चों को मदरसों में नहीं भेजना चाहते हैं. अगर हम यूपी के मदरसा बोर्ड से जुड़ा एक आंकडा देखें तो वर्ष 2017 से लेकर 2021 के बीच मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगातार कम हुई है. 2017 में 3 लाख 71 हजार बच्चों ने मदरसे में दाखिला लिया था, फिर 2021 आते-आते ये संख्या 1 लाख 62 हजार रह गई थी. यानी 4 साल में लाखों बच्चों ने मदरसे से दूरी बना ली. यकीनन ये बच्चे अन्य स्कूलों में पढ़ने गए और उनके मां बाप ने उनके भविष्य के बारे में सोचा.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 में देश के अल्पसंख्यक-वर्गों को अपनी रुचि के शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन के अधिकार का जिक्र है. इस अधिकार का उल्लंघन किए बगैर, मदरसों की शिक्षा को बेहतर बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए और मुस्लिम संगठनों को भी ये सोचना होगा कि बच्चों का भविष्य केवल धार्मिक शिक्षा पाकर ही उज्जवल नहीं बन पाएगा. उन्हें देश और समाज के उत्थान के लिए उच्च शैक्षणिक योग्यता हासिल करनी होगी.
UP में हुआ मदरसों का उत्थान
मदरसों की शिक्षा को आधुनिक बनाने के लिए योगी सरकार ने बहुत सारे कदम उठाए हैं. सर्वे के काफी समय पहले से ही इस दिशा में योगी सरकार कई तरह एक्शन ले चुकी थी. जैसे 2017 में योगी सरकार ने मदरसों की शिक्षा का बजट बढ़ाया था. यूपी मदरसा बोर्ड के मुताबिक 2016 तक मदरसा शिक्षकों की 3 साल की सैलरी बकाया थी, जिसका भुगतान योगी सरकार ने कराया. यूपी के मदरसों में NCERT की किताबें लागू की गईं हैं. मदरसों में कम्प्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति की गई ताकि शिक्षा को आधुनिक बनाया जा सके. मदरसों में गणित और विज्ञान के शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जा रही है. Infrastructure Development in Minority Education के तहत 24 अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं में क्लासरूम, हॉस्टल और शौचालय का निर्माण कराया गया. मदरसा बोर्ड के परीक्षा केन्द्रों में कैमरों से निगरानी की व्यवस्था की गई है, याकी नकल रोकी जा सके. मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए मोबाइल ऐप भी बनाया गया है, जिसमें धर्म से जुड़े विषय, NCERT सिलेबस की किताबें और सामान्य ज्ञान से जुड़ी अध्ययन की सामग्री है. इस ऐप में Live Classes की भी व्यवस्था है.
तरक्की की राह पर चलेंगे मदरसे
मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए शिक्षकों की नियुक्ति में TET लागू करने पर भी विचार हो रहा है. 2016 की मदरसा नीति भी योगी सरकार जल्दी ही बदल सकती है, नई मदरसा नीति में आधुनिक शिक्षा पर जोर होगा ताकि मदरसों के बच्चों के भी मुख्य धारा से जोड़ा जा सके. भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में मदरसों की शिक्षा को आधुनिक बनाए जाने की प्रयास किए जा रहे हैं. और वहां का मुस्लिम समुदाय, इसको लेकर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रहा है. जैसे इस दिशा में सबसे बड़ा प्रयास फ्रांस में किया जा रहा है. पिछले साल यहां के सारे मदरसों के लिए एक तय पाठ्यक्रम बना दिया गया था. फ्रांस में ये नियम बनाया गया है, कि विदेश से आने वाले मदरसा शिक्षकों को सरकार से लाइसेंस लेना होगा. फ्रांस सरकार ने मदरसों की फंडिंग से जुड़ा एक खास नियम बनाया है. मदरसों को अपनी आय से जुड़ी सारी जानकारी सरकार को देनी होती है. मोरॉक्को और अल्जीरिया जैसे देशों ने अपने ज्यादातर मदरसों का आधुनिकीकरण करके, उन्हें विश्वविद्यालयों में बदल दिया है. इन विश्वविद्यालयों में हर तरह के विषय पढ़ाए जाते हैं. कभी सोवियत यूनियन का हिस्सा रहे मध्य एशिया के कई मुस्लिम देशों ने भी अपने मदरसों को आधुनिक स्कूलों में बदल दिया था. अगर हम तुर्की की बात करें जो कि एक मुस्लिम बहुल देश हैं, वहां वर्ष 1925 में आधुनिकीकरण के नाम पर वहां पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने सारे मदरसे बंद कर दिए थे. उनका मानना था मदरसे की पढ़ाई, तुर्की के समाज को पीछे ले जाती है. वो तुर्की को यूरोप के समकक्ष ले जाना चाहते थे. उनकी सोच थी कि धार्मिक शिक्षा, समाज को आगे नहीं बढ़ने देती है.
ये स्टोरी आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर