Good news for sugercane farmers: उत्तर प्रदेश (UP) के गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी (Laxmi Narayan Chaudhary) ने कहा है कि राज्‍य सरकार ऐसा तंत्र विकसित कर रही है जिससे किसानों को गन्ने का भुगतान 14 दिनों के बजाय 10 दिनों के भीतर किया जा सके. यूपी के गन्ना विकास मंत्री ने कहा कि सरकार ने गन्ना किसानों को भुगतान की प्रक्रिया में तेजी लाई है और दूसरी बार बनी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने 100 दिनों में 8,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 14,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. एक न्यूज़ एजेंसी को दिये इंटरव्यू में चौधरी ने दावा किया कि सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में राज्य में गन्ना किसानों के लिए मुख्य फसल बन गया है. इस साल, मिलों ने 35,000 करोड़ का गन्ना खरीदा है और 29,000 करोड़ रुपये का पेमेंट भी किया जा चुका है.


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सरकार ने निभाई सक्रिय भागीदारी


तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के बीच, हाल में संपन्न हुए राज्य विधानसभा चुनाव में विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्‍ना उत्‍पादकों ने सक्रिय भागीदारी निभाई और गन्ना किसानों के मसले को भी चुनावी मुद्दा बनाया गया था. बीजेपी के शीर्ष नेताओं और आदित्यनाथ ने भी किसानों की अनदेखी के विपक्ष के आरोप को खारिज कर दिया था. योगी समेत अन्य नेताओं ने कुछ आंकड़ों के साथ ये दावा किया था कि उनकी सरकार ने साल 2017 से पहले की सरकारों की तुलना में गन्ना किसानों को कई गुना अधिक भुगतान किया है. मंत्री ने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में पिछले 5 सालों में गेहूं खरीद के बाद किसानों को 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. जबकि किसानों को उनसे धान की खरीद के लिए 60,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.


चीनी मिलों की क्षमता बढ़ी


मंत्री ने कहा कि आदित्यनाथ के पिछले शासन के दौरान गन्ना किसानों को 1.80 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था और उनके खातों में धन हस्तांतरित किया गया था. चौधरी ने दावा किया कि राज्य में गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है और पिछली सरकारों द्वारा बंद की गई चीनी मिलों को फिर से शुरू किया गया है और उनकी क्षमता में बढ़ोतरी हुई है.


मंत्री ने कहा, ‘दो साल के समय में हम ऐसी स्थिति बनाना चाहते हैं कि किसान को गन्ने का भुगतान 14 दिनों के मौजूदा प्रावधान की तुलना में 10 दिनों के भीतर किया जाए.’ चौधरी ने बताया कि गन्ने की नयी किस्मों के लिए शोध जारी है और आगामी एक-दो वर्षों में हम अच्छी गुणवत्ता वाले बीज विकसित करेंगे जिससे उत्पादन बढ़ेगा.


मथुरा की छाता सीट से पांच बार के विधायक चौधरी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा राजनीतिक रूप से सबसे अहम यूपी में कांग्रेस अपना प्रदेश अध्यक्ष तक नहीं खोज पाई है. विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार ‘लल्लू’ ने त्यागपत्र सौंप दिया था उनका इस्तीफा मंजूर भी हो गया, इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी अब तक नया प्रदेश अध्यक्ष नहीं नियुक्ति कर पाई है.


अखिलेश की राजनीति फेल: चौधरी


प्रमुख जाट नेता चौधरी ने समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा और कहा कि सपा प्रमुख गठबंधन की राजनीति में ‘पूरी तरह से विफल’ हैं. चौधरी ने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की. अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक ऐसे नेता हैं, जो एक सामान्य परिवार से आते थे और उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार नेतृत्व किया और चौथी बार पूर्ण बहुमत से बनी सरकार की जिम्मेदारी अपने बेटे को सौंप दी, लेकिन अखिलेश सत्ता की बागडोर संभालने में असमर्थ थे.’


उन्होंने यह भी दावा किया कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) गठबंधन बनाने में माहिर’ थे. जरूरत पड़ने पर उन्होंने कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (BSP) और यहां तक कि कम्युनिस्टों के साथ भी गठबंधन किया. हालांकि, गठबंधन की राजनीति में अखिलेश यादव पूरी तरह विफल रहे हैं. आपको बताते चलें कि 71 साल के चौधरी को राज्य में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा सरकार के दौरान प्रमुख ‘जाट चेहरा’ माना जाता था, जो 2015 में बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. चौधरी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में भी मंत्री थे.


(इनपुट: PTI)


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