हरिद्वार: 8वीं के छात्र का अनोखा अविष्कार, कबाड़ से बना दी इलेक्ट्रिक कार
टरी से चलने वाली यह कार एक बार में चार्ज होने के बाद 40 किलोमीटर तक चल सकती है. कबाड़ से जुगाड़ वाली कार बनाने में तकरीबन 30 हजार रुपये का खर्च आया है.
हरिद्वार: वेस्ट से बेस्ट चीज बनानी हो तो हरिद्वार के कन्हैया से सीखा जा सकता है. दरअसल, महज 13 साल के कन्हैया कुमार ने घरेलू वेस्ट यानी अनुपयोगी चीजों से एक इलेक्ट्रिक कार बनाई है. इस कार को बनाने वाला कन्हैया 8वीं क्लास में पढ़ता है. उसने न केवल इलेक्ट्रिक कार बनाई है बल्कि हरिद्वार की सड़कों पर चलाकर टेस्ट भी किया है. इस कार को बनाने में उसके परिवार और दोस्तों ने सहयोग किया है. बैटरी से चलने वाली यह कार एक बार में चार्ज होने के बाद 40 किलोमीटर तक चल सकती है. कबाड़ से जुगाड़ वाली कार बनाने में तकरीबन 30 हजार रुपये का खर्च आया है.
इलेक्ट्रिक कार बनाने वाला नन्हा इंजीनियर कन्हैया हरिद्वार में अपने ननिहाल में रहता है. दरअसल, कन्हैया 8 साल की उम्र से कुछ न कुछ बनाने लगा था. उसने सबसे पहले बैटरी से चलने वाली एक छोटी-सी जेसीबी मशीन बनाई थी. उसके बाद वैक्यूम क्लीनर, इलेक्ट्रिक साइकिल, इलेक्ट्रिक रोबोट और रिमोट से चलने वाली एक कार बनाई थी. इसी से उसे इलेक्ट्रिक कार बनाने का आइडिया आया. जिसे बनाने के लिए उसने 2 महीने पहले से काम करना शुरू कर दिया था. कन्हैया ने इस कार को चलाने के लिए 12 वोल्ट की चार बैटरियों का इस्तेमाल किया है. यह कार भी आम कार के जैसे ही चाबी से स्टार्ट होती है. इसमें स्टीयरिंग, हेड व बैक लाइट, इंडिकेटर, गियर, बैक गियर आदि सभी कुछ है. जबकि कार की बॉडी प्लाईवुड से बनी है. चारों बैटरियों को फुल चार्ज करने के बाद यह कन्हैया की कार 40 किलोमीटर तक चल सकती है. कार को उसने खुद 2 किलोमीटर तक चलाकर टेस्ट भी किया है.
प्रदूषण से बचाव को लेकर करना चाहता है काम
बचपन से ही कुछ खास करने की चाह रखने वाले कन्हैया प्रदूषण को लेकर चिंतित भी है. इसलिए वह बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक कार के साथ कोई नया आविष्कार करना चाहता है. कार बनाने में कन्हैया ने भाई कृष ने काफी सहयोग किया है. कृष का कहना है कि, 'उसने प्लाई की कटाई, रंग रोगन जैसे कामों में ही अपने भाई का सहयोग किया है.'
कन्हैया के आविष्कार को नहीं मिली तवज्जो
कन्हैया के इस कारनामे से उसके परिवार और पड़ोसी बहुत खुश हैं. कन्हैया की बुआ कहना है कि, 'इसे बचपन से कुछ अलग करने की धुन थी. कन्हैया के किसी काम में परिवार के लोगों ने कोई रोकटोक नहीं की. बल्कि उसके काम में सभी का सहयोग रहता है. उन्होंने कहा कि इतनी बढ़िया कार बनाने के बाद भी किसी संस्था, नेता ने कन्हैया के काम को नहीं सराहा. इसका उन्हें दुख है. कन्हैया की बुआ ने मांग की है कि, 'सरकार को कन्हैया और उसके अविष्कार को आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए ताकि देश और समाज से इस तरह के नए व उपयोगी आविष्कार कर सकें.' बुआ की तमन्ना है कि कन्हैया अब एक छोटा हेलीकॉप्टर भी बनाये.
पड़ोसी भी हैं गदगद
कन्हैया की इलेक्ट्रिक कार के आविष्कार से पड़ोसी गर्व कर रहे हैं. उनका कहना है कि पड़ोस के बच्चों को भी उससे काफी कुछ सीखने को मिलता है. पड़ोस में रहने वाली अनिता पाल का कहना है कि, सरकार को भी कन्हैया की सहायता करनी चाहिए ताकि उसे और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल सके. देश व समाज के लिए वह कोई बड़ा काम कर सके.