नई दिल्ली/हाथरस: हाथरस में मुरसान ब्लॉक के चिंतापुर गांव में एक बुजुर्ग स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय में रहने को मजबूर है. बुजुर्ग के मुताबिक, उनके पास घर नहीं है, इसीलिए शौचालय को ही अपना आशियाना बनाना पड़ा. बुजुर्ग का आरोप है कि ग्राम प्रधान से कई बार घर के लिए गुहार लगा चुके हैं. लेकिन, कोई समाधान नहीं निकला. वहीं, ग्राम्य विकास विभाग के परियोजना निदेशक ने पूरे मसले की जांच का भरोसा दिया है. 


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बुजुर्ग के पास नहीं है घर
स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं. हाथरस के चिंतापुर गांव में रहने वाले जमुना प्रसाद का अपना मकान नहीं है, इसलिए मजबूरी में उन्हें विभाग द्वारा तैयार किए गए शौचालय में ही जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है. 


योजना का नहीं मिल रहा लाभ
जमुना प्रसाद का कहना है कि सरकार की इतनी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन उन्हें इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उनके पास न तो रहने के कोई घर है और न ही मकान बनाने के लिए पैसा और जमीन. उन्होंने बताया कि जीवन को जीने के लिए उन्हें सरकारी पेंशन तक नहीं मिल रही है. 


अधिकारी ने दिया जांच का भरोसा
इस मामले में जिले के ग्राम्य विकास विभाग के परियोजना निदेशक का कहना है कि शौचालय तो शौच के लिए दिया गया है. यदि वृद्ध पात्र है और उसके पास मकान नहीं है तो प्रधानमंत्री आवास योजना के सर्वे में नाम जोड़कर उसे मकान दिलाया जायेगा. वो मामले की जांच करेंगे.