नई दिल्ली: मौसम की करवट ने उत्तर प्रदेश के लोगों के गर्मी से थोड़ी राहत तो दी है, लेकिन बुधवार (11 अप्रैल) देर शाम आई आंधी-तूफान और ओलावृष्टि में ब्रज क्षेत्र में सबसे ज्यादा तबाही मचाई है. इस तूफान में करीब 17 लोगों की मौत हो गई, वहीं 20 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है. आंधी-तूफान ने आगरा और मथुरा में जमकर तबाही मचाई. भयंकर तूफान और आंधी की वजह से ताजमहल के एंट्री गेट पर बने दो गुलदस्ता पिलर धाराशाई हो गए.


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ताजमहल की दो मीनारों को नुकसान
आगरा में प्रेम की निशानी ताजमहल के दो गेटों की मीनारें गिरने के साथ मुख्य स्मारक को भी नुकसान पहुंचा है. ताजमहल के एंट्री गेट के दो गुलदस्ता पिलर इस तूफान में ढह कर टूट गए. इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं हैं. 


 



किसानों ने लगाया जाम
बुधवार (11 अप्रैल) को अचानक बदले मौसम की वजह से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. ओलावृष्टि के बाद गुरुवार (12 अप्रैल) मंडल के करीब 200 किसानों ने जाम लगा दिया. किसानों को कहना है कि इस ओलावृष्टि ने उनकी फसलों को तबाह कर दिया है. उनकी मेहनत पर मौसम पानी फेर चुका है. किसानों का कहना है कि राज्य सरकार को अब उनकी रोजी-रोटी का इतंजाम करना चाहिए.



SDM ने दिया आश्वासन
जानकारी के मुताबिक, जाम की सूचना के बाद एसडीएम गरीमा मौके पर पहुंचीं और किसानों से बातचीत की. एसडीएम ने सूझबूझ के साथ किसानों से बात की और आश्वासन देकर जाम को खुलवाया. 


40 मिनट तक गिरे ओले 
जानकारी के मुताबिक, इस भयंकर आंधी-तूफान से सबसे ज्यादा नुकसान आगरा और मथुरा में हुआ है. बुधवार (11 अप्रैल) शाम को पहले तेज आंधी तूफान आया और फिर तेज बारिश शुरू हुई. मौसम विभाग के मुताबिक करीब 35 मिलीमीटर बारिश हुई और 40 मिनट तक ओले गिरते रहे. 


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आगरा-मथुरा में 17 लोगों की मौत, कई घायल
जानकारी के मुताबिक, इस भयंकर तूफान से शहर से लेकर देहात तक कई जगह कई जगह मकान और दीवारें ढह गई. इसके साथ ही सैकड़ों पेड़, होर्डिंग, टीनशेड, खंभे उखड़ गए. मौसम की इस करवट ने आगरा के 14  और मथुरा के तीन लोगों को मौत की नींद सुला दिया.  


 



किसानों को भारी नुकसान
बुधवार (11 अप्रैल) को आए इस तूफान ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. जानकारी के मुताबिक, इस तूफान और ओलावृष्टि से किसानों को काफी नुकसान हुआ है. किसानों का कहना है कि गेहूं की तैयार फसल को आंधी-तूफान ने तबाह कर दिया है. कई इलाकों में गेहूं की 80 फीसदी तक फसल नष्ट हो गई.