आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा से एक चौकाने वाली खबर सामने आ रही है जहां पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर दो सगे भाइयों ने आत्महत्या कर ली. सादाबाद पुलिस के रवैये से परेशान होने के बाद बरहन निवासी 40 वर्षीय संजय कुमार ने पहले शनिवार को फांसी लगाकर खुदकुशी की. इसके बाद पुलिस के कार्रवाई नहीं करने और मुकदमा नहीं लिखे जाने पर उसके बड़े भाई और होमगार्ड जवान प्रमोद कुमार ने भी सोमवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इस घटना से आक्रोशित लोगों ने थाने को घेरकर जमकर प्रदर्शन किया.  


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सादाबाद थाने के दारोगा हरिओम अग्निहोत्री
दरअसल, हाथरस पुलिस के उत्पीड़न से थाक-हार कर तीन दिन पहले बरहन के रुपधनू गांव के दो सगे भाइयों ने आत्महत्या कर ली. शनिवार को छोटे भाई संजय का गांव के बाहर खेत के पेड़ में शव लटका मिला था. इसके बाद स्वजन ने सादाबाद थाने के दारोगा हरिओम अग्निहोत्री पर उत्पीड़न का आरोप था और उन्हें इस आत्महत्या का जिम्मेदार ठहराया था. बड़े भाई ने बरहन थाने में तहरीर तो दे दी लेकिन कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ. जिसके बाद उसे सादाबाद पुलिस बयान के लिए बार-बार फोन कर बुला रही थी. 


सुसाइड नोट में क्या था
सोमवार की शाम को बड़े भाई प्रमेद का शव भी गांव के बाहर पेड़ से लटका मिला. उससे हाथ में एक सुसाइड नोट था. मौके पर पहुंची पुलिस को ग्रामिणों ने दौड़ा दिया. नोट में लिखा था की हरिओम अग्निहोत्री 9 जून को संजय को उठाकर ले गए थे. उन्होंने कहा था कि तुम्हारा साला एक लड़की को भगाकर ले गया है. जिसके बाद उसे दो दिन तक हवालात में रखने के बाद 11 जून को शांतिभंग की कार्रवाई कर छोड़ दिया. इसके बाद 13 जून को पुलिस प्रमोद और उसे बेटे को भी पकड़कर ले गई. जिसके बाद पुलिस पर यह आरोप है कि उन्हें 10 हजार रुपये लेकर उन दोनों को छोड़ा. इसके बाद दारोगा हरिओम 90 हजार रुपये लेने को दबाव बना रहे थे. 14 जून को संजय ने बैंक से रकम निकाली और दारोगा को रकम दे दी. जिसके बाद दारोगा ने उसे 40 हजार रुपये और देने का दबाव बनाया जिससे तंग आकर संजय ने आत्महत्या कर ली. 


लाइन हाजिर की कार्रवाई
वरिष्ठ अधिकारियों ने आने के बाद शव फंदे से नीचे उतारा. अब तक दारोगा पर केवल लाइन हाजिर की कार्रवाई हुई है. उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया गया. कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर भी ग्रामीण कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. 


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