प्रमोद कुमार/अलीगढ: 22 जनवरी को भगवान राम अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं. इस ऐतिहासिक पल को देखने के लिए रामभक्त वर्षों से इंतजार कर रहे थे. राम मंदिर आंदोलन में अहम किरदार निभाने वाले अलीगढ़ के सत्य प्रकाश भी इन्हीं में से एक हैं, उनकी इच्छा थी कि जीते जी रामलला मंदिर में विराजमान हो जाएं. अब इसे होनी कहें या कुछ और, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 24 घंटे के बाद ही तमाम बीमारियों से जूझ रहे सत्य प्रकाश ने गुरुवार को अंतिम सांस ली है.


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पूर्व विधायक का बेटा और हिंदुत्व की पहचान रखने वाले सत्य प्रकाश की मौत के बाद अलीगढ़ में शोक की लहर देखने को मिल रही है. मौत की सूचना जैसे ही अलीगढ़ के लोगों को मिली तो उनके घर के बाहर लोगों का तांता उनके आवास पर लगा हुआ है. लोग यह भी कह रहे हैं कि उनकी अंतिम इच्छा राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही पूरी हो गई थी, 70 वर्षीय सत्य प्रकाश पिछले 2 वर्ष से बीमार चल रहे थे. रात में महेंद्र नगर स्थित कालीदह धाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया है. 


किताब के कारोबारी के नाम से भी उनकी पहचान थी. खास बात यह भी थी कि बीमारी के बावजूद भी वह समाज के लिए काम किया करते थे, उनके पिता तीन बार शहर से विधायक भी रहे हैं. सांप्रदायिक घटनाओं में भाजपा से जुड़े आंदोलन में उनका अहम किरदार रहता था. बताया जाता है राम मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान कार सेवा के लिए जाते समय वह परिवार के 15 लोगों के साथ जेल गए थे. 1990 में अयोध्या जिस वक्त वह ट्रेन से जा रहे थे तो पुलिस ने ट्रेन से खींचकर उन्हें जेल भेजा था और इस दौरान पुलिस ने उन पर बहुत सारी प्लेटफार्म पर लाठियां बरसाई थीं.