Hathras Satsang Stampede: बाबा नारायण साकार हरि के खूनी सत्संग के आयोजक की पहली गवाही सामने आने के बाद तो मामला और संगीन होता जा रहा है. बाबा के खूनी सत्संग के आयोजक की पहली गवाही सामने आई है. इस गवाही में जिन आयोजकों को पुलिस नहीं खोज पाई उन्हीं आयोजकों ने बाबा की पोल खलकर कर रख दी. ये सभी उन 78 आयोजक की लिस्ट Zee News को हुई ज्ञात है जो पुलिस के लिए अज्ञात थे. 


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पुलिस को पूरा सहयोग देने का भी दावा
बाबा के खूनी सत्संग की आयोजकों की लिस्ट सबसे आखिरी में गायत्री देवी का नाम लिखा हुआ है. बाबा के खूनी सत्संग के लिए 10 हजार रुपए का दान दिए थे. इस तरह की बातों से साफ पता चलता है कि सत्संग में भक्तों से मोटी रकम वसूली जाती होगी.वैसे सच क्या है इसकी पोल धीरे धीरे खुलती जाएगी. जानकारी है कि गायत्री और उनका पति पैर से विकलांग है ऐसे में दोनों बड़ी ही आसानी से बाबा के झांसे में आ गए. हालांकि, 121 लोगों की मौत के बाद उनकी खुली आंखें खुल गई. ये कह सकते हैं कि आयोजक होने के बावजूद भी बाबा से उसका मोह भंग हो गया है. कैमरे पर पुलिस को पूरा सहयोग देने का भी दावा किया गया. 


जांच कर रहे आयोग को विकास भवन में ऑफिस आवंटित
हाथरस भगदड़ कांड की जांच कर रहे आयोग को विकास भवन में ऑफिस आवंटित कर दिया गया है और एक से दो दिन में आयोग हाथरस आ जाएगा. हाथरस में सुरक्षा में लगे कर्मचारियों के लिये गये बयान, बिजली विभाग, एसडीएम सिकन्दरारऊ, फायर कर्मचारी, ब्लॉक के कर्मचारी इन सभी के एसआईटी ने बयान दर्ज किए. हाथरस हादसे की एसआईटी आज शासन को जांच रिपोर्ट सौंप सकती है. जानकारी है कि जांच एडीजी आगरा व अलीगढ़ कमिश्नर के नेतृत्व में चल रही है. जिसमें डीएम-एसएसपी सहित 130 लोगों के बयान ले लिए गए हैं. 


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मुख्यमंत्री स्तर से एसआईटी जांच का आदेश 
दो जुलाई की दोपहर हुए इस हादसे के बाद ही मुख्यमंत्री स्तर से एसआईटी जांच का आदेश जारी किया गया था. एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ व मंडलायुक्त चैत्रा वी को एसआईटी की जिम्मेदारी देते हुए 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की गई जिसमें सबसे बड़ा सवाल यह उठाया गया कि हादसे के मूल कारण और लापरवाही व अनदेखियों को उजागर करना है. रिपोर्ट बुधवार को ही देनी थी पर राहत व बचाव कार्य के कारण जांच पूरी नहीं की जा सकी.हो सकी. अधिकारियों की ओर से तीन दिन का समय मांगा गया है.  जिसमें मौके पर तैनात एक एक पुलिस के साथ ही अन्य सभी विभागों के कर्मचारी-अधिकारी व प्रारंभिक सूचना कर्मी, एंबुलेंस कर्मी, डॉक्टर, पोस्टमार्टम करमी समेत कइयों को को शामिल किया गया है. इसमें डॉक्टर, किसान, चश्मदीद, घायल, तहसील के साथ ही जिला स्तर के अधिकारी व डीएम-एसपी भी शामिल हैं.