मिड डे मील रसोइयों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, कोर्ट ने कहा- न्यूनतम वेतन से कम नहीं दे सकती सरकार
कोर्ट ने प्रदेश में सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतन भुगतान का निर्देश दिया है. इस आदेश से रसोइयों को वेतन में बढ़ोत्तरी हो सकेगी.
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिषदीय स्कूलों में काम करने वाले रसोइयों के वेतन को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने प्रदेश में सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतन भुगतान का निर्देश दिया है. इस आदेश से रसोइयों को वेतन में बढ़ोत्तरी हो सकेगी.
1 हजार रुपये देना बंधुआ मजदूरी
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मिड-डे-मील रसोइयों को एक हजार रुपये वेतन देना बंधुआ मजदूरी है. जिसे संविधान के अनुच्छेद 23 में प्रतिबंधित किया गया है. इसके साथ ही कहा कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार है कि वह मूल अधिकारों के हनन पर कोर्ट आ सकता है. वहीं, सरकार की भी संवैधानिक जिम्मेदारी है कि किसी के मूल अधिकार का हनन नहीं हो. सरकार न्यूनतम वेतन से कम वेतन नहीं दे सकती. कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलों के डीएम को इस आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं.
याची 14 साल से एक हजार के वेतन पर कर रही सेवा
हाईकोर्ट में बेसिक प्राइमरी स्कूल पिनसार बस्ती की मिड डे मील रसोइया चंद्रावती देवी ने याचिका दायर की थी. इसमें उसने बताया कि उसे 1 अगस्त 2019 को हटा दिया गया, याची पिछले 14 साल से एक हजार रूपये मासिक वेतन पर सेवा कर रही है. गौरतलब है कि नए शासनादेश से स्कूल में जिसके बच्चे पढ़ रहे हों उसे रसोइया नियुक्ति में वरीयता देने का नियम लागू है.
याची का कोई बच्चा प्राइमरी स्कूल में पढ़ने लायक नहीं है इसलिए उसे हटाकर दूसरे को उसकी जगह रखा जा रहा है. साथ ही अब वेतन भी 1500 रुपये कर दिया गया है. वह खाना बनाने के लिए भी तैयार है. जस्टिस पंकज भाटिया की एकल पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति पावरफुल नियोजक के विरूद्ध कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकता.
कितनी है न्यूनतम मजदूरी
आंकड़ों के मुतााबिक अकुशल मजदूरों के लिए महीने में 8758 रुपये और प्रतिदिन 336.85 रुपये तय है. अर्ध कुशल मजदूरों के लिए 9634 प्रति महीना
और कुशल मजदूरों के लिए 10791 रुपये तय है. ये दरें 1 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक के लिए हैं.
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