लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में चयन प्रकिया प्रारम्भ होने के बाद अहर्ता अंक कम करने का कारण न बता पाने पर प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा एवं सरकारी वकील से नाखुशी ज़ाहिर करते हुए इन चयन को अपने संज्ञान में ले लिया है.


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अदालत ने प्रमुख सचिव प्रभात कुमार के उस जवाब पर हैरानी जताई है, जिसमें उन्होंने अदालत के समक्ष उपस्थित होकर कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अहर्ता अंक को कम किए जाने का निर्णय क्यों लिया गया.


हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश में दखल देने से किया इनकार
अदालत ने अपने आदेश में एकल जज के उस आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया, जिसमें उन्होंने सरकार द्वारा अहर्ता अंक कम करने वाले 21 मई 2018 के शासनादेश पर रोक लगा दी थी. अदालत ने सरकार को अपना जवाब पेश करने का मौका दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने अविनाश कुमार व अन्य समेत कई अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया. सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में 21 मई 2018 के शासनादेश के द्वारा राज्य सरकार ने अहर्ता अंक को कम कर दिया था. 


राज्य सरकार के उक्त शासनादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. 24 जुलाई को जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने उक्त शासनादेश पर रोक लगा दी थी. एकल पीठ के उक्त आदेश के विरुद्ध अपीलें दाखिल की गई हैं.


(इनपुट भाषा से)