प्रयागराज: प्रयागराज में संगम की रेती पर लगे माघ मेले में मौनी अमावस्या स्नान पर्व श्रद्धा व आस्था में डूबे लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे हैं. ब्रह्मुहूर्त् से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया. माघ मेला क्षेत्र के सभी 12 स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं का हुजूम दिखाई दे रहा है. 


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लोगों के आने का सिलसिला जारी 
हर कोई आज के दिन पवित्र त्रिवेणी की गोद में आस्था की डुबकी लगाने के लिए उत्साहित दिखाई दे रहा है. माघ मेले में मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर स्नान के बाद दान का भी विशेष महत्व है. यही वजह है कि श्रद्धालु स्नान के बाद दान करते हुए दिखाई दे रहे हैं. माघ मेला डीआईजी राजीव नारायण मिश्रा के मुताबिक अभी तक लवभग बीस लाख श्रद्धालु स्नान कर कर चुके हैं. जिस तरह से लोगों के आने का सिलसिला जारी है, इससे अनुमान है कि यह आंकड़ा देर शाम तक एक करोड़ तक पहुंच सकता है.


प्रयागराज माघ मेले का तीसरा प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या आज, त्रिवेणी के संगम तट पर श्रद्धालु लगा रहे आस्था की डुबकी, सुबह करीब दस बजे श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा होगी, मेला प्रशासन की तरफ से स्नानार्थियों पर पुष्प वर्षा होगी, हेलीकॉप्टर से स्नानार्थियों पर फूल बरसाए जाएंगे, संगम क्षेत्र में मेला प्रशासन पुष्प वर्षा कर मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर आए श्रद्धालुओं का करेगी स्वागत.


मेला प्रशासन की तैयारी 
वहीं माघ मेले में मौनी अमावस्या स्नान पर्व को देखते हुए मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सहूलियत को लेकर सभी जरूरी प्रयास किया है. मेला क्षेत्र में सभी स्नान घाटों पर जल पुलिस और प्रशिक्षित गोताखोर तैनात किए गए हैं. साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी स्नान घाट पर तैनात हैं. महिला पुलिसकर्मी भी स्नान घाट पर तैनात की गई है. मेला क्षेत्र में सिविल पुलिस के साथ ही पीएसी, आरएएफ, सीआरपीएफ और एटीएस के जवान सुरक्षा के लिहाज से भ्रमण करते दिखाई दे रहें हैं। सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से भी मेला क्षेत्र की निगरानी की जा रही है.


शिव की नगरी वाराणसी 
वहीं, शिव की नगरी वाराणसी की बात करें तो मौनी अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाई. आज मौनी अमावस्या पर श्रद्धालु सर्वार्थ सिद्धि योग में पुण्य स्नान के लिए उत्तरवाहिनी गंगा में डुबकी लगाने के लिए भक्त वाराणसी में गंगा घाटों पर जमा हैं. सूर्योदय के साथ ही स्नान, दान व पूजन के अनुष्ठान किए गए. अस्सी से राजघाट के बीच तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना है.