कौन है लारेब हाशमी?, जिसने चापड़ से प्रयागराज में बस कंडक्टर का गला काटा
Laraib Hashmi: लारेब हाशमी के पाकिस्तानी आतंकी संगठन से जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है. यूपी एटीएस की टीम ने आरोपी के घर वालों से पूछताछ कर तलाशी ली.
Who is Laraib Hashmi: प्रयागराज में बस कंडक्टर पर चापड़ से हमला करने के मामले को यूपी एटीएस ने भी संज्ञान ले लिया है. शनिवार को यूपी एटीएस की टीम आरोपी छात्र लारेब हाशमी के गांव पहुंची. लारेब हाशमी के पाकिस्तानी आतंकी संगठन से जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है. यूपी एटीएस की टीम ने आरोपी के घर वालों से पूछताछ कर तलाशी ली. तो आइये जानते हैं कौन है आरोपी छात्र लारेब हाशमी?.
कौन है लारेब हाशमी?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बस कंडक्टर और चालक पर चापड़ से हमला करने वाला आरोपी प्रयागराज के हाजीगंज सोरांव का रहने वाला है. उसके पिता का नाम मोहम्मद यूनुस है. लारेब के पिता गांव में ही पोल्ट्री फार्म चलाते हैं. लारेब हाशमी ने इसी साल नैनी स्थित यूनाइटेड इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया था.
एसटीएस की पूछताछ में क्या?
एसटीएस की जांच में अब तक लारेब हाशमी ने बताया कि शांतिपुरम से रेमंड के लिए चलने वाली सिटी बस में वह बैठा था. इस दौरान बस कंडक्टर ने मुसलमानों को लेकर कुछ गलत बोला, इसलिए उसने उसपर हमला कर दिया. पास बैठे कुछ यात्रियों का कहना है कि अपनी बेइज्जती से बौखला कर लारेब ने ऐसा कदम उठा लिया.
सोशल मीडिया पर वीडियो जारी
हमले के तुरंत बाद लारेब हाशमी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसमें वह भागते हुए वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है. इसमें वह मजहबी नारे लगा रहा है और उन्मादी बातें कर रहा है. इतना ही नहीं वह वीडियो में यह भी कह रहा है कि उसे इस हमले से कोई अफसोस नहीं है.
कौन थे मौलाना खादिम हुसैन रिजवी
पूछताछ में लारेब हाशमी ने यह स्वीकार किया है कि वह पाकिस्तानी मौलाना खादिम हुसैन रिजवी से प्रभावित है. बता दें कि खादिम हुसैन रिजवी इस्लामिक स्कॉलर, लेखक और तहरीक-ए-लब्बैक संगठन के संस्थापक थे. रिजवी ने 2015 में एक राजनीतिक संगठन बनाया था. खादिम हुसैन रिजवी को उर्दू, पंजाबी, अरबी और फारसी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था.
भाषणों के लिए मशहूर थे
रिजवी इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जीवन और उनके विचारों पर अपने दिए भाषणों के लिए मशहूर थे और इसके साथ कुरान और हदीस के अलावा इमाम अहमद रजा खान बरेलवी और मोहम्मद इकबाल की कविताओं को भी अपने भाषणों में शामिल करते थे.
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