Gorakhpur : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के भव्य रामगढ़ताल को नया स्वरूप दिया जा रहा है. यहां जल्द ही पर्यटकों को विदेशी पक्षी भी दिखेंगे. रामगढ़ताल में अमेरिकन बत्तख को उतारा गया है. इससे अब वॅाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की शोभा और बढ़ जाएगी. अभी बतखों के छोटे होने की वजह से उन्हें बाहर निकालकर कांप्लेक्स में सुरक्षित रखा जा रहा है.


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फर्म की ओर से एक हजार अमेरिकन डक मंगाए गए थे लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी इनमें से 600 बतख भीषण गर्मी की वजह से मर गए . फर्म अब और एक हजार बतख मंगाने की तैयारी कर रहा है. ताल की शोभा बढ़ाने के लिए वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का संचालन कर रही फर्म प्रयागराज से 25 जोड़े राजहंस भी मंगा रही है, जो तीन दिन के भीतर गोरखपुर पहुंच जाएंगे . इन्हें भी ताल में छोड़ दिया जाएगा .


फार्म के प्रतिनिधि ने क्या कहा 
फर्म के प्रतिनिधि आशीष शाही ने बताया कि बचे हुए 400 बतखों का आकार अभी काफी छोटा है , इसलिए उन्हे सुबह से शाम तक के लिए ताल के किनारे सुरक्षा घेरा बनाकर पानी में छोड़ा जा रहा है फिर रात के समय उन्हें निकालकर कांप्लेक्स में ही सुरक्षित रखा जा रहा है . 10 से 15 दिनों में इनके आकार में बढ़ौतरी हो जाएगी जिसके बाद उन्हें हमेशा के लिए ताल में छोड़ दिया जाएगा . 


रामगढ़ ताल क्या है 


गोरखपुर शहर के अन्दर स्थित एक विशाल तालाब  यह 723 हेक्टेयर (लगभग 1800 एकड़) क्षेत्र में फैला हुआ है . इसका परिमाप लगभग 18 किमी है . इस ताल का केवल गोरखपुर के स्तर पर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐतिहासिक महत्व है . इतिहासकार डॉ. राजबली पांडेय के मुताबिक ईसा पूर्व छठी शताब्दी में गोरखपुर का नाम रामग्राम था . शुरुआती दौर में यह तालाब छह मील लंबा और तीन मील चौड़ा था . 90 के दशक में जब वीर बहादुर सिंह मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने रामगढ़ ताल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की, जो 1989 में उनके असामयिक निधन से अधर में लटक गई .योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश का नेतृत्व संभाला तो उन्होंने ताल की कीमत को एक फिर बार समझा और इसे लेकर नई योजनाएं बनाईं और लंबित योजनाओं को पूरा करने का संकल्प लिया . फिलहाल ताल को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार के अलावा एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल) ने भी संभाल रखी है .