मथुरा-काशी में मंदिर तोड़कर ही बनीं मस्जिदें, पुष्टि के लिए कोर्ट-कचहरी की जरूरत नहीं: AMU प्रो. इरफान हबीब
Mathura-Kashi Mandir: प्रख्यात इतिहासकार व अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो. इरफान हबीब ने कहा कि वाराणसी-मथुरा में मंदिर थे, इन्हें तोड़ा गया है.
अलीगढ़: देश के प्रख्यात इतिहासकारों में शुमार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इरफान हबीब का ज्ञानवापी और मथुरा के मामले पर बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि मथुरा और काशी में 300 वर्ष पहले मंदिर थे, जिन्हें तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाई गई. यह बिल्कुल सही है. इसका जिक्र इतिहास की कई किताबों में किया गया है. यह साबित करने के लिए किसी सर्वे, कोर्ट-कचहरी की कोई जरूरत नहीं है.
इतिहासकार ने बताया कि औरंगजेब ने मथुरा के मंदिर को तुड़वा कर मस्जिद बनाई. काशी विश्वनाथ में भी औरंगजेब ने मंदिरों को तुड़वा कर मस्जिद बनवाईं. इसमें कोई दो राय नहीं है, ये तारीखों में लिखा गया है. इरफान हबीब ने आगे कहा कि 1947 की स्थिति बरकरार रखनी होगी. अगर कोई तब्दीली करनी है. तो कानून बदलना होगा. 300 साल बाद इन्हें दुरुस्त करने का औचित्य नहीं है.
इरफान हबीब ने आगे कहा कि भारत में हजारों बौद्ध मठों को तोड़कर मंदिर बनाया गया है, तो क्या अब उन्हें भी तोड़ेंगे? गया का महाबोधि मंदिर इसका उदाहरण है. वहां शैव मत के लोगों ने कब्जा कर लिया. हालांकि अब वहां हिंदू और बौद्ध दोनों ही पूजा करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि औरंगजेब के समय वीर सिंह बुंदेला ने मथुरा में बहुत बड़ा मंदिर बनवाया था. उन्होंने आगे कहा कि आर्कियोलॉजी की मानें तो कोई भी इमारत चाहे वह मस्जिद हो या मंदिर, उसे तोड़ना नहीं चाहिए. ऐसी कोई भी इमारत 200 साल से अधिक की हो तो उसके साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.
गौरतलब है कि बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था, ‘अयोध्या का मुद्दा जब लोगों ने देखा तो नंदी बाबा ने भी इंतजार किए बगैर रात में बैरिकेड तोड़वा डाले और अब हमारे कृष्ण कन्हैया भी कहां मानने वाले हैं.’ मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘पांडवों ने कौरवों से सिर्फ पांच गांव मांगे थे लेकिन सैकड़ों वर्षों से यहां की आस्था केवल तीन (अयोध्या, काशी और मथुरा) के लिए बात कर रही है.’