नई दिल्‍ली: अयोध्‍या केस की 9वें दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान के वकील ने दलील को बढ़ाते हुए कहा, 'विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, मूर्ति हो या न हो लोगों की आस्था होना काफी है यह साबित करने के लिए कि वही रामजन्म स्थान है.' रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि इस मामले में कभी भी कोई प्रतिकूल कब्जा नहीं हुआ है, हिन्दुओं ने हमेशा इस स्थान पर पूजा करने की अपनी इच्छा प्रकट की है. स्वामित्व का कोई सवाल ही नहीं उठता, ज़मीन केवल भगवान की है. वह भगवान राम का जन्म स्थान है, इसलिए किसी के वहां मस्जिद बना कर उस पर कब्ज़े का दावा करने का सवाल नहीं उठता. किसी मूर्ति या मंदिर को नहीं तोड़ा जा सकता, अगर मंदिर न भी हो तो भी इस स्थान की पवित्रता बनी रहेगी.


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वैद्यनाथन ने कहा- अगर जन्मस्थान देवता है, अगर संपत्ति खुद में एक देवता है तो भूमि के मालिकाना हक का दावा कोई नहीं कर सकता. कोई भी बाबरी मस्जिद के आधार पर उक्त संपत्ति पर अपने कब्जे का दावा नहीं कर सकता. अगर वहां पर कोई मंदिर नहीं था, कोई देवता नहीं है तो भी लोगों की जन्मभूमि के प्रति आस्था काफी है. वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है. इसके साथ ही रामलला विराजमान की दलील पूरी हुई. अब रामजन्म स्थान पुनरूद्धान समिति के वकील पी एन मिश्रा ने अपनी दलील रखना शुरू की.


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'मंदिर में विराजमान रामलला नाबालिग का दर्जा रखते हैं, उनकी संपत्ति छीन नहीं सकते'


उन्‍होंने कहा कि अयोध्या के भगवान रामलला नाबालिग हैं. नाबालिग की संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है और न ही छीना जा सकता है. इस मामले में यह तथ्य स्पष्ट है कि भगवान राम का यहां जन्म हुआ, यह जगह दैवीय है और इस मामले को दूसरी तरह से देखा जाना चाहिए.


इसके साथ ही रामलाल के वकील CS वैद्यानाथ ने कहा कि मैं कब्ज़े का दावा इसलिए कर रहा हूं क्‍योंकि वहां एक मंदिर था और भगवान हैं. मैं मस्जिद की भूमि पर प्रतिकूल कब्जा करने का दावा नहीं कर रहा हूं.


उस जगह को मंदिर बनाकर पवित्र किया जाता है और संपत्ति की पवित्रता को किसी भी प्रकार से बेचा नहीं जा सकता, क्योंकि वह स्थान धार्मिक पवित्रता रखती है.