ADA ने नक्शा पास किया, बैंक ने लोन दिया, घर बनाने लगे तो जागे अफसर, अयोध्या में गरजा बुलडोजर
Ayodhya News: अयोध्या जिला प्रशासन का अनोखा कारनामा सामने आया है. यहां एडीए ने पहले घर बनाने के लिए नक्शा पास किया, बैंक ने घर बनाने के लिए लोन दिया. जब घर का निर्माण होने लगा तो उसे अवैध बताकर बुलडोजर चला दिया गया.
Ayodhya News: रामनगरी अयोध्या में अवैध निर्माण पर योगी सरकार ने बड़ा एक्शन किया है. दो दशक बाद एक बार फिर लुप्त हुए पौराणिक कुंड सप्त सागर को विकसित के लिए जिला प्रशासन के निर्माणाधीन भवन पर बुलडोजर चला है. वहीं, एक परिवार का आरोप है कि यह जमीन उन्होंने 2018 में खरीदी थी. इस पर तहसील में ही प्रशासनिक अधिकारियों के ही द्वारा रजिस्ट्री और बैनामा कराया गया था. इसके बाद अयोध्या विकास प्राधिकरण चौहद्दी के मुताबिक विकास शुल्क जमा कर नक्शा भी पास किया है. इस जमीन पर भवन निर्माण के लिए बैंक के सर्वे पर आधार पर लोन भी प्राप्त हुआ है. इसके बावजूद बिना किसी नोटिस के कार्रवाई की गई है.
पौराणिक ग्रंथों में सप्त सागर का जिक्र
अयोध्या के पौराणिक ग्रंथों में भी सप्त सागर की महिमा का बखान है. जनकपुर की कुल देवी मां पार्वती जी हैं. अयोध्या में स्थित छोटी देवकाली मिथिला धाम की देवी सर्वमंगला पार्वती जी ही हैं. जगत जननी मां सीता जी जब पिता के घर जनकपुरी से ससुराल अयोध्या के लिए चलीं तो माता पार्वती की प्रतिक चिन्ह भी साथ लेकर आईं. महाराजा दशरथ ने अयोध्या मे सप्तसागर के निकट मन्दिर बनवा दिया. जहां सीता जी और अन्य रानियों के साथ पूजन करने जाया करती थीं तब से लेकर आज तक यह कुंड अयोध्या के लोगों की आस्था का केंद्र है. लेकिन बीते कुछ वर्ष पूर्व भूमाफिया द्वारा जमीनों की खरीद फरोख्त के बाद एक बड़ी कॉलोनी बसा दी गई.
सप्त सागर कॉलोनी में चला बुलडोजर
अयोध्या के सप्त सागर कॉलोनी में रविवार की शाम एसडीएम सदर विकास दुबे और सीईओ अयोध्या आशुतोष तिवारी दलबल के साथ बुलडोजर लेकर पहुंचे. पटना के रहने वाले विमलेश कुमार का 11000 स्क्वायर फीट में बने बाउंड्री वॉल और संतोष गुप्ता का निर्माणाधीन मकान भी ढहा दिया गया है. आरोप है कि इन निर्माण सप्तसागर कुंड में बने हुए थे. एसडीएम विकास दुबे ने बताया कि गाटा संख्या 67 है. निर्माण करने वाले व्यक्तियों की जमीन गाटा संख्या 95 में दर्ज है.
पीड़ित परिवार ने लगाए गंभीर आरोप
वहीं, संतोष गुप्ता की पत्नी मनीषा गुप्ता का कहना है कि यह जमीन 2018 में खरीदी थी. रजिस्ट्री और दाखिल खारिज भी कराया गया. विकास प्राधिकरण ने हमारी जमीन का सर्वे कर विभागों के एनओसी प्राप्त होने के बाद भवन निर्माण के लिए स्वीकृति देते हुए नक्शा पास किया था. इसके साथी एक बैंक के द्वारा भी इस जमीन पर निर्माण के लिए सर्वे के बाद लोन भी दिया गया है. अगर यह गलत जमीन होती तो यह सभी कानूनी प्रक्रिया किस आधार पर किए गए. पिछले 3 महीने से यह मकान निर्माण का कार्य चल रहा है लेकिन किसी भी व्यक्ति के द्वारा नहीं नोटिस दिया गया, न ही कोई भी अधिकारी इसकी जानकारी देने आए. रविवार को छुट्टी के दिन देर शाम प्रशासनिक अधिकारी अचानक पहुंचते हैं और फिर पूरे मकान को गिरा देते हैं. घटना की जानकारी पर समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य मंत्री तेज नारायण भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार से मुलाकात की.