टेंट में दशकों गुजारने वाले रामलला कहां रहेंगे, राम मंदिर समिति के चंपत राय ने किया खुलासा
Ayodhya Ram Mandir News: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का अब एक हफ्ता ही बचा है. रामलला की पुरानी मूर्ति को लेकर भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फैसला कर लिया है कि उसे कहां रखा जाएगा.
अयोध्या। रामनगरी के राम जन्मभूमि परिसर में दशकों तक टेंट में गुजारने वाले रामलला विराजमान भी राम मंदिर परिसर के अंदर ही भक्तों के दर्शन के लिए रखे जाएंगे. सोमवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उस सवाल का भी जवाब दे दिया. इसका सभी को लंबे समय से इंतजार था.
अयोध्या में अभी भगवान श्रीरामलला की मूर्ति की पूजा अर्चना की जा रही है, उन्हें भी नए मंदिर के गर्भ गृह में ही स्थापित किया जाएगा. नई प्रतिमा के साथ-साथ उनकी भी एक समान पूजा अर्चना की जाएगी. दरअसल, बहुत से लोग जानना चाहते थे कि गर्भ गृह में श्रीरामलला की नई प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद वर्तमान में जिस मूर्ति की पूजा अर्चना की जा रही है, उसका क्या किया जाएगा. सोमवार को इन सभी सवालों का जवाब मिला.
70 साल से हो रही पूजा
चंपत राय ने बताया कि भगवान राम की मौजूदा प्रतिमा जिनकी उपासना, सेवा, पूजा लगातार 70 साल (1950 से) से चली आ रही है. वो भी राम मंदिर के मूल गर्भ गृह में ही उपस्थित रहेगी. जैसे अभी उनकी पूजा और उपासना की जा रही है. वैसी ही 22 जनवरी के आगे भी जारी रहेगी. चंपत राय ने ये भी बताया कि पुरानी प्रतिमाओं के साथ-साथ श्रीरामलला की नई प्रतिमा को भी अंग वस्त्र पहनाए जाएंगे. गौरतलब है कि वर्तमान में जिस मंदिर में श्रीरामलला की पूजा होती है, वहां श्रीरामलला अपने तीनों भाइयों के संग विराजमान हैं.
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 16 जनवरी से 21 जनवरी तक चलेगा. 16 जनवरी- प्रायश्चित एवं कर्म कुटी पूजन 17 जनवरी- रामलला की मूर्ति रामजन्मभूमि परिसर में प्रवेश करेगी. 18 जनवरीको सायंकाल तीर्थ पूजन एवं जलयात्रा होगी. 19 जनवरी को प्रातः औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास और शाम में धान्याधिवास होगा. 20 जनवरी को प्रातः शर्कराधिवास, फलाधिवास और शाम को पुष्पाधिवास होगा. 21 जनवरी को प्रातः मध्याधिवास और शाम को शय्याधिवास होगा. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में 121 आचार्य शामिल होंगे. अनुष्ठान के संयोजक गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे.
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