सरेआम 4 लोगों को गोलियों से भूनने वाला सुनील राठी को आखिरकार हुई सजा, नीरज बवाना भी चला चाबुक
Uttar Pradesh News: यूपी के दो खूंखार गैंगस्टरों सुनील राठी और नीरज बवाना को आखिरकार कोर्ट के सख्त फैसले का सामना करना पड़ा. दोनों बेहद दुर्दांत अपराधी और वेस्ट यूपी में उनके नाम की दहशत थी.
कुलदीप चौहान/बागपत : पश्चिमी यूपी में आतंक का पर्याय बने गैंगस्टर सुनील राठी और नीरज बवाना को आखिरकार एक बड़े मामले में सजा सुनाई गई है. गैंगस्टर केस में सुनील राठी को 10 साल और नीरज बवाना को सात साल सजा हुई है. सुनील राठी ने एक साथ चार लोगों की हत्या कर अपने नगर पंचायत चेयरमैन पिता की मौत का बदला लिया था और फिर गैंग बना लिया.
सुनील राठी समेत पश्चिमी यूपी के तीन शातिर बदमाशों को बागपत कोर्ट में सज़ा सुनाई गई है तीनो बदमाशों को 2014 के गैंगस्टर मुकदमे में जिला एवं सत्र न्यायधीश विशेष ने सज़ा सुनाते हुए सुनील राठी को 10 साल, नीरज बवाना को 7 साल ओर सचिन हलालपुर को 5 साल की सज़ा सुनाई गई है.साथ ही सुनील राठी पर एक लाख, नीरज वावाना पर 70 हजार ओर सचिन पर 50 हजार का अर्थदण्ड भी लगाया है.
2014 में बागपत कोतवाली क्षेत्र के दिल्ली - सहारनपुर हाइवे पर उत्तराखंड पुलिस की कस्टडी से सुनील राठी गैंग के सदस्यों ने पुलिस की आंखों में मिर्ची स्प्रे कर कुख्यात बदमाश अमित उर्फ़ भूरा निवासी सरनावली मुजफ्फरनगर को कस्टडी से छुड़ा लिया था. साथ ही दो पुलिसकर्मियों की एके 47 लूटने की वारदात को अंजाम दिया था. इसके बाद बागपत से लखनऊ तक ह्ड़कंप मच गया था. इस घटना को अंजाम देने में पश्चिमी यूपी के कुख्यात सुनील राठी, दिल्ली के पूर्व विधायक रामवीर शौकीन ओर नीरज बवाना समेत गैंग के सदस्यों के नाम सामने आए थे. इसके चलते ही तत्कालीन कोतवाली प्रभारी केएम दोहरे ने कुख्यात सुनील राठी, अमित भूरा, नीरज बवाना, सचिन, रोबिन हलालपुर समेत गैंग के अन्य बदमाशों के खिलाफ गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज कराया गया था.
गैंगस्टर एक्ट में हुई सज़ा
सरकारी वकील राहुल नेहरा ने बताया कि इस गैंगस्टर मुकदमे की सुनवाई बागपत के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय विशेष गैंगस्टर कोर्ट में हुई. उत्तराखंड की पौड़ी गढ़वाल जेल में बंद पश्चिमी यूपी के कुख्यात बदमाश सुनील राठी, तिहाड़ जेल में बंद नीरज बवाना ओर चित्रकूट जेल में बंद सचिन हलालपुर की हिस्ट्रीशीट पर सुनवाई की गई. जज पवन कुमार राय ने कुख्यात सुनील राठी को 10 साल की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना, नीरज बवाना को 7 साल की सजा और 70 हजार का जुर्माना और सचिन हलालपुर को 5 साल की सज़ा ओर 50 हजार का जुर्माना लगाया.
जेल में साजिश रचकर फ़िल्मी अंदाज में हुई थी घटना ---
अमित उर्फ़ भूरा को कस्टडी से छुड़ाने की साजिश जेल में रची गई थी.अमित भूरा 2014 में उत्तराखंड की जेल में बंद था ओर उत्तराखंड पुलिस उसे बागपत कोर्ट में एक मुकदमे में पेशी के लिए ला रही थी. जैसे ही पुलिसकर्मी थ्रीव्हीलर में लेकर दिल्ली-सहारनपुर हाइवे पर कोतवाली बागपत क्षेत्र में पहुंचे तो वहां पहुंचे बदमाशों ने पुलिसकर्मियों की आंखों में मिर्ची स्प्रे कर दो पुलिसकर्मियों से उनकी एके 47 लूट ली ओर अमित भूरा को पुलिस की कस्टडी से छुड़ाकर ले गए थे. इस पूरी घटना को अंजाम देने कुख्यात सुनील राठी गैंग ओर हरियाणा, उत्तराखंड व दिल्ली के बदमाश शामिल थे
सुनील राठी कौन है
सुनील राठी मूल रूप से बागपत जिले का रहने वाला है. 1989 में सुनील राठी के पिता नरेश राठी टीकरी नगर पंचायत से चेयरमैन का चुनाव जीते थे. इसके बाद 1995 में नरेश राठी की पत्नी राजबाला राठी चेयरमैन बनीं. चेयरमैन पद की कुर्सी दो-दो बार घर में आने से नरेश राठी के दुश्मन बढ़ते चले गए. इसके बाद साल 1999 में उनकी हत्या कर दी गई. इस घटना के बाद ही सुनील राठी ने जुर्म की दुनिया में अपने कदम रखे. वह अपने पिता की मौत का बदला लेना चाहते थे.
इसके चलते साल 2000 में सुनील राठी ने ऐसा कांड किया कि वो बाहुबली कहे जाने लगे. उसने अपना बदला लेने के लिए एक साथ 4 लोगों को मौत के घाट उतारा. चार मर्डर करने कि वजह से पुलिस उसकी तालाश कर रही थी मगर वो बागपत से फरार हो चुका था. वह भाग के दिल्ली आया जहां उसने अपने साथियों के साथ मिलकर एक शोरूम में डकैती डाली. डकैती के दौरान भी उसने वहां तीन लोगों को मारा. जेल में जाने के बाद भी वह अपनी गैंग चला रहा था.
नीरज बवाना कौन है
18 साल पहले नीरज ने अपराध की दुनिया में कदम रखा था, जिसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. नीरज दिल्ली के बवाना गांव का है. वो अपने सरनेम की जगह अपने गांव का नाम लगाता हैं. नीरज के खुलाफ हत्या, लूट और जान से मारने की धमकी जैसे कई संगीन मामले दिल्ली और अन्य राज्यों में दर्ज है. वहीं इस वक्त नीरज तिहाड़ जेल में बंद है. नीरज भी जेल के अंदर से अपनी गैंग चला रहा है.