अजय कश्‍यप/बरेली : पितृपक्ष (श्राद्ध) की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है. श्राद्ध पक्ष में पितरों को प्रसन्न किया जाता है. श्राद्ध पक्ष में किए गए अनुष्ठान से पितरों को मुक्ति मिलती है, लेकिन बरेली में सैकड़ों की तादाद में अस्थि कलश रखे हैं जिनको अपने विसर्जन का इंतजार है. गरुण पुराण के मुताबिक, जिन मृतकों की अस्थियों का विसर्जन नही किया जाता तब तक उनको मुक्ति नहीं मिल पाती. बरेली के सिटी श्‍मशान भूमि में 10-10 साल पुरानी अस्थियां रखी हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पितरों को मुक्ति की तलाश
सिटी श्मशान भूमि, संजय नगर श्मशान भूमि और गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि में सैकड़ों की तादाद में अस्थियों के कलश रखे हैं. इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है, ऐसे में यहां रखी सैकड़ों अस्थियों को अपनी मुक्ति की तलाश है. श्‍मशान भूमि कमेटी के पंडित त्रिलोकी नाथ शर्मा के मुताबिक, कई अस्थियों के कलश टूट गए हैं जिससे वो बिखर रही हैं. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह इन अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर दें. ताकि इनको मुक्ति मिल सके. 


अंतिम संस्‍कार के लिए समय नहीं 
बता दें कि बदलते परिवेश में जहां लोग अपने मां-बाप को उन्हीं के घर में जगह नहीं देते हैं और घर से बाहर निकाल देते हैं. वहीं कहां उम्मीद की जा सकती है कि ऐसे लोग मरने के बाद अपने बुजुर्गों का अंतिम संस्कार करेंगे. श्‍मशान भूमि से मात्र कुछ दूर रहने वाले तमाम ऐसे लोग भी हैं जो अपनों की अस्थियां विसर्जित करने की फुर्सत नहीं निकाल पा रहे हैं. श्मशान भूमि के केयरटेकर समाजसेवी संगठनों की मदद से इनकी अस्थियां विसर्जित करते है ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके.