18 साल बाद पकड़ा गया बावरिया गिरोह का शातिर बदमाश, लूट को अंजाम देने से पहले करते थे ये काम
बावरिया एक विशेष जनजाति का नाम है. इस समुदाय के लोग खानाबदोश जीवन जीते हैं. यह जनजाति तकरीबन साढ़े तीन सौ साल पहले चित्तौड़गढ़ से विस्थापित हो गई थी.
बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. करीब 18 साल पहले अदालत से फरार हुए बावरिया गिरोह का शातिर बदमाश राजेश उर्फ मटरू को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने मटरू के पास एक देसी तमंचा भी बरामद की है.
रोडवेज बस का कर रहा था इंतजार
पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर शाहजहांपुर जिले के थाना पुवायां इलाके के गांव तेंदुआ फार्म पर छापा मारा. लेकिन आरोपी वहां से फरार हो गया और बरेली आ गया. आज आंवला थाना इलाके के रोडवेज बस स्टैंड से सवारी के इंतजार में खड़े हुए आरोपी को पुलिस ने दबोच लिया. जिसके पास से एक तमंचा और दो कारतूस तथा जेब में रखे ₹500 बरामद हुए. पुलिस द्वारा पूछताछ में उसने बताया कि वह 18 साल पहले न्यायालय मे पेशी पर जेल से आया था और पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था. जिसे आज पकड़ लिया गया.
2003 में पेशी के दौरान हो गया था फरार
बरेली के थाना सिरौली में बावरिया गिरोह का आरोपी लूटपाट करते हुए रंगे हाथों 2002 में पकड़ा गया था. जिसने पुलिस को अपना गलत नाम पता बताकर राजेश पुत्र रामपाल निवासी तेंदुआ फार्म थाना पुवायां शाहजहांपुर बताया था. जो कि गलत था और पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया था. लेकिन नाम पता गलत होने के कारण उसकी जमानत नहीं हो पा रही थी. 7 मई 2003 को जेल से आंवला न्यायालय में पेशी के लिए लाया गया था. पेशी होने के बाद वह पुलिस कस्टडी से फारार हो गया था. तब से अब तक फरार चल रहा था.
रिश्तेदारों से कराएगी सत्यापन
फरार चल रहे आरोपी ने बताया कि उसने पूर्व में अपना नाम व पता गलत बताया था. उसका सही नाम मटरू पुत्र झब्बू लाल निवासी कच्ची बस्ती कोतवाली भरतपुर राजस्थान बताया है. मटरू ने बताया कि उसके साथी जो कि पूर्व में बावरिया गिरोह के नाम से लूटपाट करते थे. उनमें दो सगे भाई और एक लड़का था जोकि चंदौसी स्टेशन पर मिले थे और घर में घुसकर लूटपाट करते थे. बरेली पुलिस ने बताया आरोपी के रिश्तेदारों से सत्यापन भी कराया जाएगा. ताकि सुनिश्चित हो सके कि यह पता ठीक है.
कौन होते हैं बावरिया
बावरिया एक विशेष जनजाति का नाम है. इस समुदाय के लोग खानाबदोश जीवन जीते हैं. यह जनजाति तकरीबन साढ़े तीन सौ साल पहले चित्तौड़गढ़ से विस्थापित हो गई थी. इस समुदाय का मूल मुख्य रूप से भरतपुर (राजस्थान) के पास है. इसके बाद ये लोग देशभर में फैल गए
धर्म-आस्था में रखते हैं काफी विश्वास
इस जानजाति के लोग धर्म-आस्था में काफी विश्वास करते हैं. हर वारदात से पहले वे अपनी कुलदेवी की पूजा करतें हैं. इनके वारदात को अंजाम देने का दिन भी काफी धार्मिक और अंधविश्वासी रुप से चुना जाता है. इन्हें एक बकरा बताता है कि लूट करनी है या नहीं
WATCH LIVE TV