लखनऊ: रामलला के मंदिर के लिए भूमिपूजन की शुभ घड़ी करीब है. इससे ठीक पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीट के जरिये भगवान राम को याद किया है और कहा है कि 'आशा है, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियां भी मर्यादा पुरूषोत्तम के दिखाए मार्ग के अनुरूप सच्चे मन से सबकी भलाई व शांति के लिए मर्यादा का पालन करेंगी.'
अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट की शुरुआत महादेव और सियाराम के साथ-साथ राधा-कृष्ण और बजरंगबली के जयकारे के साथ की है. 


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पिता मुख्यमंत्री थे, तब चली थी कारसेवकों पर गोली


90के दशक में अयोध्या आंदोलन जब पूरे चरम पर था, तब उत्तर प्रदेश की सत्ता की कमान मुलायम सिंह यादव के हाथ में थी. मुलायम ने कहा था कि उनके राज्य में बाबरी मस्जिद पर कोई परिंदा पर भी नहीं मार सकता. अक्टूबर, 1990 में हिंदू साधु-संत कारसेवा के लिए अयोध्या कूच कर रहे थे. 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई. कारसेवक पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ मस्जिद की ओर बढ़ रहे थे. मुलायम सिंह यादव ने सख्त फैसला लेते हुए प्रशासन को गोली चलाने का आदेश दिया. पुलिस की गोलियों से पांच कारसेवकों की मौत हुई. 2 नवंबर 1990 को एक बार फिर हजारों कारसेवक जब हनुमान गढ़ी के करीब पहुंच गए, तो पुलिस ने गोलियां चलाईं. इसमें 12 से ज्यादा कारसेवकों की मौत हुई थी. मुलायम सिंह यादव के इस आदेश से यूपी की सियासत हमेशा के लिए बदल गई. हालांकि उन्होंने कई मौकों पर अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए गोली चलवाई गई. 


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