लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिये शुक्रवार को अपने 100 प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी। पार्टी विधानसभा की कुल 403 में से अब तक 200 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है और इनमें से 58 सीटों पर मुसलमानों को टिकट दिये गये हैं। बसपा की कल घोषित 100 प्रत्याशियों की पहली सूची में जहां 36 मुसलमान थे, वहीं दूसरी सूची में इस कौम के 22 लोगों को टिकट दिये गये हैं।


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प्रदेश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत है और मुस्लिम मतदाता प्रदेश की करीब 125 सीटों पर जीत-हार तय कर सकते हैं। दलित-मुस्लिम-ब्राहमण के समीकरण को लेकर चुनाव जीतने की जुगत लगा रही बसपा ने मुसलमानों के एकजुट वोट की ताकत को समझते हुए इस कौम के लोगों का चुनाव टिकट वितरण में खास ख्याल रखा है। मायावती लगभग हर प्रेस कांफ्रेंस में खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के एकमात्र मजबूत विरोधी के तौर पर पेश करती हैं। इनमें वह मुसलमानों से कहती हैं कि साम्प्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिये मुस्लिम कौम सपा और कांग्रेस को वोट देकर उसे बेकार करने के बजाय बसपा को एकजुट होकर वोट दें।


मायावती ने गत मंगलवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि बसपा ने प्रदेश विधानसभा की सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिये हैं। उनमें से 87 टिकट दलितों को, 97 टिकट मुसलमानों को और 106 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों को दिये गये हैं। मायावती ने कहा था कि विपक्षी दलों के लोग बसपा पर जातिवादी पार्टी होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन पार्टी ने समाज के सभी वर्गो के लोगों को टिकट देकर साबित किया है कि वह जातिवादी बिल्कुल भी नहीं है।


मुसलमानों का एकजुट वोट किसी भी सियासी समीकरण को बना और बिगाड़ सकता है। वर्ष 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों के लगभग एक पक्षीय मतदान की वजह से सपा को प्रचंड बहुमत मिला था।