Ajab Gajab : यूपी के चित्रकूट के एक गांव में कभी डकैतों का राज था. एक डकैत मरता तो दूसरा पैदा हो जाता. समय के साथ यह गांव भी बदला. आज इस गांव में डकैत नहीं आईएएस-आईपीएस बन रहे हैं. जो लोग कभी इस गांव में आने से डरते थे, वह आज यहां अफसरों की राह निहार रहे हैं. आज इस गांव के हर घर में कोई कोई सरकारी नौकर है. 


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डकैतों के डर से गांव नहीं आते थे लोग 
जी हां, हम बात कर रहे हैं चित्रकूट के रैपुरा गांव की. 80 से 90 के दशक में यह गांव डकैतों के लिए मशहूर था. हालांकि, अब इस छोटे से गांव में करीब डेढ़ से दौ दर्जन लोग आईएएस, आईपीएस, पीसीएस जैसे पदों पर कार्यरत हैं. आलम यह है कि आज गांव में ऐसा कोई घर नहीं बचा, जिस घर में कोई सरकारी नौकरी न करता हो. इस गांव की चर्चा पूरे जिले में है. 


देश के शीर्ष पदों पर कार्यरत 
गांव में ही एक इंटर कॉलेज है. यहां से रिटायर प्रधानाचार्य का कहना है कि इस गांव में लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग आईएएस, पीसीएस हैं. इन सभी की स्‍कूली पढ़ाई गांव में ही हुई है. हालांकि बाहर से उच्‍च शिक्षा हासिल कर अधिकारी बने हैं. आने वाली पीढ़ी भी उनसे प्रेरणा ले रही है. हर घर में किसी न किसी बच्‍चे को सरकारी नौकरी मिली है. उन्‍होंने बताया कि आज इस गांव के लोग प्रदेश ही नहीं देश के शीर्ष पदों पर कार्यरत हैं.