Nainital High Court: कुछ समय से उत्तराखंड उच्च न्यायालय को अन्य स्थान पर शिफ्ट करने की बात चल रही थी. अब हाईकोर्ट ने एक नोटिस जारी करते हुए वहां के आम लोगों से उनकी राय मांगी है. कोर्ट ने एक वेबसाइट भी खोल दी है. आपको बता दे कि सुझाव देते समय आपको अपने आधार कार्ड को भी अपलोड करना होगा. 


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राय के लिए वेबसाइट का प्रयोग 
लोगों की राय जाने के लिए जिस वेबसाइट का प्रयोग किया जा रहा है, उस वेबसाइट www.highcourtofuttarakhand.gov.in पर लोगों ने अपनी राय भी देनी शुरू कर दी है. हाईकोर्ट को शिफ्ट किए जाने के विषय पर अपनी स्पष्ट राय/विचार को हां, या नहीं यानी पक्ष या विपक्ष में साझा करना है. आने वाले 31 मई तक साइट खुली रहेगी. 31 मई के बाद सुझाव के आधार पर नैनीताल हाई कोर्ट को शिफ्ट किया जाएगा .


हाईकोर्ट कि स्पेशल अपील
आपको बता दें कि हाईकोर्ट कि स्पेशल अपील पर बीती 8 मई को हाईकोर्ट की बेंच को ऋषिकेश स्थानांतरित करने के लिए जमीन खोजने के आदेश दिए थे. उत्तराखंड बार काउंसिल से रजिस्टर्ड अधिवक्ता भी अपनी राय को दर्ज कर सकते हैं. वहीं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता का भी कहना है कि आम लोगों के सुझाव के आधार पर सरकार पूरे मामले में आगे बढ़ेगी. 


आंदोलनकारियों ने भी अपनी बात रखी
हुकुम सिंह कुंवर ने कहा कि 'अलग राज्य तो बना पर न तो पलायन रुका और नहीं शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की कोई ठोस व्यवस्था हो सकी. कुमाऊं से बड़े संस्थान शिफ्ट कर दिए गए.  कुमाऊं से हाईकोर्ट शिफ्टिंग का पुरजोर विरोध किया जाएगा. किसी भी सूरत में हाईकोर्ट शिफ्ट नहीं होने दिया जाएगा'. वहीं मोहन पाठक ने भी कहा 'जब अलग राज्य बना तो देहरादून में अस्थायी राजधानी और नैनीताल में हाईकोर्ट बना. अब हाईकोर्ट को भी कुमाऊं से शिफ्ट कर गढ़वाल ले जाने की साजिश हो रही है.  इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. हाईकोर्ट हल्द्वानी में स्थापित की जानी चाहिए'. 
   
अपना गुस्सा निकालते हुए अनीता बर्गली ने भी कहा कि 'देहरादून में राजधानी और नैनीताल में हाईकोर्ट की स्थापना से सभी सहमत हैं. स्थायी राजधानी पहाड़ में ही बने, इसकी मांग आज भी उठती है. हाईकोर्ट को कुमाऊं से अन्यत्र शिफ्ट किया जाना कतई न्याय संगत नहीं है'. 'दोहरा पलायन शुरू हो गया है एक राज्य के बाहर और एक राज्य के भीतर. पहाड़ खाली हो गए हैं. हाईकोर्ट से पहाड़ के विकास की संभावनाएं बनी हैं. हाईकोर्ट शिफ्ट किया गया तो व्यापक जनांदोलन किया जाएगा' केदार पलड़िया ने कहा.