वेदेन्द्र प्रताप शर्मा/आजमगढ़: यूपी के आजमगढ़ में सिधारी थाना क्षेत्र के हरबंशपुर में चिल्ड्रेन गर्ल्स कॉलेज में 31 जुलाई को संदिग्ध हालत में 11वीं की छात्रा श्रेया तिवारी की मौत के मामले ने नया मोड़ ले लिया हैं.  बता दें कि प्रिंसिपल और क्लास टीचर की गिरफ्तारी के बाद डीआईजी के निर्देशन में मऊ जिले के सीओ सिटी धनंजय मिश्रा को विवेचना के लिए ट्रांसफर किया गया.  सीजीएम कोर्ट से इस मामले में आरोपी प्रधानाचार्य और क्लास टीचर को जमानत मिल गई है. दोनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज है.  इससे पहले मामले को हाईलाइट होने के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. 


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सीजेएम कोर्ट में खारिज, फिर यहां मिली जमानत
हालांकि इस बीच प्रिंसिपल और क्लास टीचर द्वारा सीजेएम कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की गई थी जिसे खारिज कर दिया गया था.  इस आदेश के खिलाफ दोनों आरोपियों द्वारा जिला जज के यहां जमानत अर्जी दाखिल की गई थी.  जिस पर 14 अगस्त को सुनवाई होनी थी, लेकिन बुधवार की देर शाम में मऊ सीओ सिटी की विवेचना के बाद दाखिल की गई. जहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दोनों को जमानत दे दी गई और उनकी रिहाई का आदेश जिला कारागार पहुंच गया. विवेचक से क्लीनचिट मिलते ही अभियुक्तगण जेल से रिहा तो हो गये लेकिन पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठ रहे हैं.


उठ रहे हैं सवाल
इस मामले को लेकर गिरफ़्तारी के बाद प्रदेश के सारे प्राइवेट स्कूलों ने गिरफ़्तारी के विरोध में एक दिन अपना स्कूल बंद रखा था. इसको प्रशासन पर दबाव कहा जाये या विरोध ये तो नहीं पता लेकिन एक बात स्पष्ट है कि बहुतायत में सरकारी कर्मचारियों के बच्चे इन्ही बड़े प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं जिससे स्कूल प्रबंधन का सीधा व बेहतर संबंध इन अधिकारियों से रहता है. वहीं आम जन लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि प्रिंसिपल व क्लास टीचर की गिरफ़्तारी, एक दिन का स्कूल बंद, विवेचना व जांच दूसरे जनपद के अधिकारी को DIG द्वारा देना, जाँच में साक्ष्य का अभाव दर्शाना और अदालत में रिपोर्ट पेश कर अभियुक्तों का जेल से तुरंत रिहा. ये पूरा घटनाक्रम इतना तेज हुआ कि पुलिस इतनी तेज़ी तो आम आदमी के लिए नहीं दिखाती है, जबकि स्कूल में हुई घटना व सबूत मिटाने का जो आरोप है वो गंभीर है, इसको कैसे निपटाया है या कैसे निपटायेगी पुलिस ये एक बड़ा सवाल है.


क्या-क्या हुआ अब तक
आजमगढ़ के एक कॉलेज में तीन मंजिला ऊपर से कूद कर एक छात्रा की संदिग्ध हालत में 10 दिन पहले यानी 31 जुलाई को मौत हुई थी. मौत के बाद तहरीर पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए स्कूल की प्रिंसिपल और क्लास टीचर पर मुकदमा दर्ज कर विवेचना के बाद 3 अगस्त को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था.  जहां  इन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार आजमगढ़ में निरूद्ध गया. इसके विरोध में जहां यूपी के प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन लामबंद होकर 8 अगस्त को शैक्षणिक गतिविधि बंद रखने का फैसला लिया. 


वहीं इस मामले में 2 दिन पूर्व 8 अगस्त को ही आजमगढ़ डीआईजी के आदेश पर इस मुकदमे को पुलिस अधीक्षक मऊ स्थानांतरित करते हुए इसकी विवेचना सीओ सिटी मऊ को दी गई. मामले में विवेचना के दौरान दोनों तरफ से पूछताछ और सीसीटीवी फुटेज तथा स्कूल में पाये गये मोबाइल का काल डिटेल की जांच की गई.  इस आत्महत्या मामले में एक नया मोड़ आया. पुलिस के अनुसार, इन पर लगे आरोप आत्महत्या करने के लिए उत्प्रेरित करना और साक्ष्य को छिपाने, धारा 306 और 201 का अपराध नहीं पाया जा रहा है. 


इसको लेकर पुलिस ने धारा 169 सीआरपीसी के तहत क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की और इनके ऊपर कोई आरोप नहीं बनता है. जहां कल देर शाम मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने स्वीकार करते हुए दोनों अभियुक्तों को 20-20 हजार के बांड दाखिल करते हुए रिहा करने का आदेश दिया.  जहां इसे लेकर स्कूल एसोसिएशन को फिलहाल राहत मिल गई है.  लेकिन अब देखने वाली बात होगी कि मृतका के परिजन पक्ष की तरफ से आगे क्या कदम उठाए जाएंगे.


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