योगेश नागरकोटी/बागेश्वर : बागेश्वर में पिछले तीन दिन से पड़ रही तेज धूप ने यहां कि हालत खराब कर दी है. इससे चीड़ का पिरुल यानी चीड़ की पत्तियां ज्यादा ही गिर रही है. ऐसे में जंगल की आग बेकाबू हो गई है. इससे यहां के वातावरण में धुंआ ही धुंआ है. बागेश्वर, कपकोट, गरुड़ और कांडा के जंगल में लगी आग ने तबाही का मंजर ला दिया. कांडा-धपोली की तरफ के जंगल रात भी जलते रहे जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचने का अंदेशा लगाया जा रहा है. 


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स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा
वहीं, धुंआ और आग की लपटों से पूरे क्षेत्र का तापमान भी बढ़ गया है. जिला मुख्यालय के ठीक सामने का जंगल तो रातभर सुलगता ही रहा. हालांति सुबह के समय आग पर काबू पा लिया गया. तब तक जड़ी बूटी, घास, ईमारती लकड़ी आदि जलकर खाक हो गईं. जंगल संपदा को इस आग की घटना से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं, कांडा क्षेत्र में जंगल की आग पेट्रोल पंप तक जा पहुंची. स्थानीय लोगों के लिए यह धधकती आग होश उड़ाने वाला है, इस परेशानी से उबर पाने के प्रयास में उनके पसीने छूट रहे हैं. स्थिति को लेकर जिस तरह से वन विभाग नदारद है इससे स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा और नाराजगी है. 


पारा चढ़ने से बढ़ी आफत 
इस साल की बात करें तो अप्रैल और मई महीने में जिले के जंगलों की आग तो शांत थी लेकिन जून का महीना इस मामले में बुरा साबित हो रहा है. पिछले तीन दिन से यहां पर बढ़े पारे नें आग की समस्या को और बढ़ा दिया है. बताया जा रहा है कि आग की 28 घटनाएं अब तक हो चुकी हैं. लगातार जंगल के जलने से पर्यावरण को भी धुआं फैसले से हानि पहुंच रही है.


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