Dehradun: हरक सिंह रावत का विवादों से चोली- दामन का साथ रहा है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि उनके जीवन में उपलब्धियां कम और विवाद अधिक हैं. उत्तराखंड बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत के प्रतिष्ठानों पर फिर से एक बार ED ने छापा मारा है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हरक सिंह रावत पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े मामलों में यह रेड हो रही है. उनके उत्तराखंड और दिल्ली-एनसीआर सहित एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर छापेमारी हो रही है. ईडी की टीम देहरादून की डिफेंस कॉलोनी स्थित हरक सिंह रावत के आवास पर पहुंचकर रेड कर रही है. इसके साथ ही  दिल्ली, चंडीगढ़ में भी ईडी ने सुबह-सुबह छापेमारी शुरू की है. यहां आगे हरक सिंह रावत के सभी विवादों की जानकारी दी जा रही है....


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जैनी प्रकरण
हरक सिंह रावत का नाम पहली बार जैनी प्रकरण के बाद चर्चाओं में आया था. वर्ष 2003 में स्व. एनडी तिवारी की सरकार में हरक सिंह को चर्चित जैनी प्रकरण की वजह से मंत्री पद गंवाना पड़ा था. उस वक्त जैनी नाम की महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था. जैनी ने हरक सिंह रावत पर आरोप लगाते हुए कहा था कि हरक सिंह रावत ही उसके बच्चे के पिता हैं. मामले में डीएनए टेस्ट भी कराया गया था, लेकिन डीएनए रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई. बाद में मामला रफादफा कर दिया गया. 


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मंत्री पद मेरे जूते की नोक पर
2012 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे थे. इसी दौरान उनका एक बयान काफी विवादित हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मंत्री पद को मैं अपने जूते की नोक पर रखता हूं. 


दिल्ली में रेप केस
2013 में मेरठ की एक महिला ने भी हरक पर शरीरिक शोषण का आरोप लगाया था. तब हरक सिंह रावत कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार में मंत्री पद पर थे. बात इतनी बढ़ी थी कि इस महिला ने दिल्ली के सफदरजंग थाने में हरक सिंह रावत के खिलाफ दुष्कर्म का मामला तक दर्ज करवा दिया था. हालांकि काफी समय तक इस पूरे मामले में कुछ नहीं हुआ और चर्चा रही कि आरोप लगाने वाली महिला ने अपने आरोप वापस ले लिया. 


सरकार गिरवा दी
2016 में हरीश रावत की सरकार गिराने में सबसे बड़ा हाथ हरक सिंह रावत का ही माना जाता है. 18 मार्च 2016 को उत्तराखंड में सियासी संकट पैदा करने वालों में हरक सिंह रावत भी शामिल थे. हरक सिंह रावत ने विधानसभा में हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले 9 बागियों का नेतृत्व किया था. स्थिति ये हो गई थी कि हरीश रावत की सरकार चली गई और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लग गया था. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हरीश रावत सरकार बहाल कर दी थी. लेकिन हरक के नेतृत्व में कांग्रेस के 9 बागियों ने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. इसी दौरान हरीश रावत का चर्चित स्टिंग सामने आया था. इसमें भी हरक सिंह रावत की भूमिका होने आरोप लगा था.


बीजेपी ने निकाला
उत्तराखंड की राजनीति में माना जाता है कि हरक सिंह रावत अपने फायदे के लिए किसी भी दल में जा सकते हैं. सबसे पहले बीजेपी फिर अपनी पार्टी बनाई और उसके बाद कांग्रेस के साथ चले गए. कांग्रेस का दामन छोड़ते हुए इसके बाद से बीजेपी में वापसी करने के बाद 2022 में फिर से कांग्रेस का दामन थामते हुए बीजेपी भी छोड़ दी. 2022 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत अपने साथ ही अपनी बहू अनुकृति गुसाईं के लिए पौड़ी की लैंसडाउन सीट से टिकट मांग रहे थे. लेकिन बीजेपी ने परिवारवाद पर सख्त रुख अपनाया था.बीजेपी से टिकट ना मिलने के बाद और बीजेपी से 6 सालों के निकाले जाने के बाद हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हुए थे.