केदारनाथ धाम के कपाट दीवाली बाद इस तारीख से बंद, 11 नवंबर को बंद होंगे भकुंट भैरवनाथ के द्वार
बाबा केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित हो गई है. पारंपरिक रूप से पूरे विधि-विधान से अनुष्ठान के रूप में कपाट बंद किए जाते हैं. हजारों साल से चली आ रही परंपरा के बारे में आइए विस्तार से जानते हैं.
सुरेंद्र डसीला/देहरादून : केदारनाथ धाम के कपाट 15 नवंबर से शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे. इसी कड़ी में भकुंट भैरवनाथ के कपाट शीतकाल के लिए शनिवार को बंद होंगे. उन्हें बाबा केदारनाथ का रक्षक माना जाता है. इस दौरान केदारनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा. शाम 4 बजे फिर से मंदिर को दर्शनों के लिए खोला जाएगा. केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में स्थित बाबा भैरवनाथ जी के कपाट बंद होने के बाद श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने तक श्री केदारनाथ यात्रा चलती रहेगी. शनिवार को दोपहर 12 बजे तक भगवान केदारनाथ के दर्शन होंगे. उसके बाद मंदिर की साफ-सफाई के बाद मंदिर दर्शनार्थियों के लिए बंद रहेगा. दोपहर एक बजे मंदिर समिति के पुजारी, धर्माचार्य, वेदपाठी, अधिकारीगण एवं तीर्थ पुरोहित भैरवनाथ जी के कपाट बंद करने हेतु भैरव शिला को प्रस्थान करेंगे.
कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होगी. यह लिनचोली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग और सीतापुर यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए प्रथम रात्रि विश्राम के लिए रामपुर में रुकेगी. इसके बाद 17 नवंबर को पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली गुप्तकाशी से रवाना होकर शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी.
22 नवंबर को मद्महेश्वर धाम के कपाट होंगे बंद
भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ आगमन पर शै भोज का आयोजन किया जाएगा. इस बार मद्महेश्वर धाम के कपाट 22 नवंबर को प्रात: आठ बजे वृश्चिक लग्न में शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. भगवान मद्महेश्वर के कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर कूनचट्टी, नानौ, खटारा और बनातोली यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी.
23 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रासी पहुंचेगी. 24 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली उनियाणा, राऊलैंक और मनसूना यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी और 25 नवंबर को अलग-अलग यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर भव्य मेला आयोजित होगा.
विजयादशी के अवसर पर पंचाग गणना के अनुसार 18 नवंबर को बाबा बदरी के कपाट शीतकाल के लिए बंद होंगे. अब तक 16 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा बदरी के दर्शन कर चुके हैं.
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