Rishikesh Karnaprayag Railway Line: उत्तराखंड में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक दौड़ेगी ट्रेन, महज 4 घंटे में पहुंचेंगे बद्रीनाथ
Rishikesh-Karnaprayag Rail Line Project: रुद्रप्रयाग में जारी है सुरंग का निर्माण पूरा होने के बाद कई प्रमुख तीर्थस्थानों पर बहुत ही कम समय में पहुंचा जा सकेगा. इस दौरान कुल 12 स्टेशन तैयार किए जाएगा जिनमें से 10 जमीन के नीचे तैयार की जा रही हैं.
रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में जारी सुरंग का निर्माण कार्य अब और आगे बढ़ चला है. इस प्रॉजेक्ट के प्रॉग्रेस की बात करें तो अभी तक ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन प्रोजेक्ट में एक सुंरग को आर-पार किया गया है जोकि 3.2 किमी लंबी है. आपको बता दें कि रेल लाइन परियोजना के तहत काम को थोड़ा और कर लिया गया है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियाजनाओं में से एक है.
500 कर्मचारी की मेहनत
यह परियोजना 125 किमी लंबी है जिसमें आने वाले सुरंगों की संख्या 17 है और इनकी कुल लंबाई 6.2 किमी बताई जा रही है. हाल में सुरंग खोदी गई वह नरकोटा से जवाड़ी बाईपास तक के लिए जिसको बनाने में 500 कर्मचारी ने मेहनत की. इतना ही नहीं 35 पुल भी इस रेल लाइन पर बनाए जाने हैं. इस पर कुल 12 स्टेशन होंगे, इनमें से 2 जमीन पर और बाकी 10 स्टेशन सुरंग में तैयार किए जाएंगे. पहली सुरंग की बात करें तो पीछले साल यानी 2022 में इसे आर पार किया गया.
यात्रा का समय कम होगा
इस निर्माण कार्य में भारतीय रेलवे के साथ ही रेल विकास निगम लगा हुआ है. इसके कंस्ट्रक्शन का काम कई एलएंडटी और कई निजी कंपनियां कर भी कर रही हैं.इसके खुलने के बाद कई जगहों की यात्रा के दौरान समय बचेगा. ऋषिकेश से पड़ने वाले कई धार्मिक स्थलों की यात्रा छोटी और सुविधाजनक हो जाएगी. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग की ओर जाने में 7 घंटे की जगह 2 घंटे का समय लगेगा. ऋषिकेश से बद्रीनाथ जाने वाले लोग केवल 4 घंटे में यात्रा पूरी कर लेंगे. फिलहाल 11 घंटे की यह पूरी यात्रा है. कर्णप्रयाग से बद्रीनाथ की अगर आत्रा करनी है तो इस रेल लाइन के खुलने के बाद यात्री महज 4.30 घंटे में अपनी यात्रा पूरी कर पाएंगे.
परियोजना का खर्च
पहाड़ों पर यह परियोजना पूरी की जा रही है जिसके लिए 4200 करोड़ रुपये एलोकेट किया गया. यह एलोकेशन 2021-22 के बजट में किया गया. अनुमान है कि इसमें 16216 करोड़ रुपये का खर्च तो आएगा ही और 2025 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. जिस तरह से काम हो रहा है उससे ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस परियोजना के कार्य को दिसंबर 2025 तक पूर्ण कर लिया जाएगा.
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