मुस्लिम परिवार में बेटी-बीवियों का भी वसीयत में हक होगा, उत्तराखंड UCC से बच्चा गोद लेने से गुजारा भत्ते तक बदले नियम
UCC Bill Uttarakhand: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर विधेयक पेश किया. यूसीसी में उत्तराधिकार का विशेष प्रावधान किया गया है.
UCC Bill Uttarakhand: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पेश कर दिया गया है. यूसीसी विधेयक के लिए बुलाए गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह विधेयक पेश किया. चार खंडों में 740 पेज के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था. यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एकसमान विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों.
उत्तराधिकार का विशेष प्रावधान
यूसीसी में उत्तराधिकार का विशेष प्रावधान किया गया है. इसके बाद से अब मुस्लिम महिला भी बच्चों को गोद ले पाएंगी. वहीं, इकलौती शादीशुदा लड़की की मौत के बाद उसके माता- पिता की जिम्मेदारी पति की होगी. इसके अलावा गोद लिए गए बच्चे को भी संपत्ति में एक समान अधिकार होगा. बायोलॉजिकल चाइल्ड और कानूनी रूप से गोद लिए गए बच्चों में पेरेंट्स कोई फर्क नहीं कर सकेंगे. इसके अलावा लड़कियों का भी पैतृक संपत्ति में अधिकार होगा. पैतृक संपति में पुत्र-पुत्री तथा बेटा-बहू को एक समान अधिकार प्राप्त होगा चाहे, वह हिंदू हो या मुसलमान, पारसी हो या ईसाई. संपत्ति को लेकर धर्म, जाति, क्षेत्र और लिंग आधारित विसंगति समाप्त होगी.
कैसे होगा विभाजन?
UCC में संपत्ति शब्द को हटाकर संपदा शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें मृतक की सभी प्रकार की संपत्तियां जैसे चल अचल, स्वयं अर्जित, पैतृक या संयुक्त मूर्त या अमूर्त या ऐसी किसी भी संपत्ति में कोई भी हिस्सा सम्मलित किया गया है. विधेयक में उत्तराधिकारियों को श्रेणी एक के उत्तराधिकारी, श्रेणी 2 के उत्तराधिकारी, निकटतम डिग्री के अन्य नातेदारों में बांटा गया है. अगर श्रेणी एक का कोई उत्तराधिकारी जीवित नहीं होगा तब श्रेणी 2 के उत्तराधिकारियों के बीच मृतक की संपदा का विभाजन होगा. यदि श्रेणी एक और दो में उल्लेख किया गया कोई भी उत्तराधिकारी जीवित न हो तो मृतक के निकटतम डिग्री के अन्य नातेदारों को मृतक की संपदा का विभाजन किया जाएगा. यदि अन्य नातेदारों में भी कोई जीवित न हो तो मृतक की संपदा राज्य सरकार में निहित हो जाएगी.
किस पर लागू होगा?
राज्य के मूल निवासी व स्थाई निवासियों पर, राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के वे स्थाई कर्मचारी जो राज्य की सीमा में तैनात हों, राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहे हों, ऐसे व्यक्तियों पर ये एक्ट लागू होगा.
अलग-अलग धर्मों में 'उत्तराधिकार' की क्या है व्यवस्था ?
आपको बता दें कि मुस्लिम कानून में 'उत्तराधिकार' की व्यवस्था अत्यधिक जटिल है. पैतृक संपत्ति में पुत्र एवं पुत्रियों के मध्य अत्यधिक भेदभाव है, अन्य धर्मों में भी विवाहोपरान्त अर्जित संपत्ति में पत्नी के अधिकार अपरिभाषित हैं और उत्तराधिकार के कानून बहुत जटिल हैं. विवाह के बाद पुत्रियों के पैतृक संपत्ति में अधिकार सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है और विवाहोपरान्त अर्जित संपत्ति में पत्नी के अधिकार अपरिभाषित हैं. यूसीसी के मुताबिक, 'उत्तराधिकार' किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं है बल्कि सिविल राइट और ह्यूमन राइट का मामला है इसलिए यह भी जेंडर न्यूट्रल रिलिजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफार्म होना चाहिए.
यहां पढ़ें पूरा यूसीसी विधेयक
गोवा में पहले से लागू है UCC
कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा. गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है.
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