UCC in Uttarakhand: समान नागरिक संहिता कमेटी की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई अपने सदस्यों के साथ आज सुबह 11:00 बजे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने पहुंची. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को तैयार ड्राफ्ट सौंपा. कल कैबिनेट बैठक में यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट को हरी झंडी मिलने के बाद इसे छह फरवरी को विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है. समान नागरिक संहिता कानून लागू होने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है. 


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वहीं, UCC को लेकर सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल करने वाले वकील अश्वनी उपाध्याय ने ज़ी मीडिया से खास बातचीत करते हुए बताया कि यूसीसी संविधान की मूल अवधारणा को सिद्ध करता है. कोई भी धर्म-जाति हो लेकिन महिलाओं के अधिकार एक समान होने चाहिए. समान नागरिक संहिता बालिकाओं के जीवन को संरक्षित करने वाला है. उत्तराखंड से इसकी पहल हो रही है.



तीन तलाक मामले की याचिकाकर्ता ने किया यूसीसी का स्वागत
तीन तलाक मामले में याचिकाकर्ता शायरा बानो समान नागरिक संहिता पर कहा कि, "मैं आने वाले यूसीसी ड्राफ्ट को लेकर आशान्वित हूं... यह आने वाले समय में मुस्लिम समुदाय के लिए फायदेमंद होगा. मैं यूसीसी का स्वागत और समर्थन करती हूं." विधेयक का पूरे मुस्लिम समुदाय को इसका स्वागत और समर्थन करना चाहिए... इससे हजारों मुस्लिम महिलाओं को लाभ होगा. मुस्लिम समुदाय की सामाजिक संरचना में सुधार होगा.''


उत्तराखंड सरकार ने बनाई थी कमेटी 
समान नागरिक संहिता का मतलब है कि सभी धर्मों के लिए एक ही कानून, अभी प्रत्येक धर्म का अपना कानून है, जिसके हिसाब से वह चलता है. वर्तमान में देश में केवल गोवा ही एकमात्र राज्य है, जहां यह कानून लागू है. गौरतलब है कि सत्ता में आने से पहले पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार ऐलान किया किया था कि सरकार बनने पर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया जाएगा. UCC का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक कमेटी बनाई थी. जिसमें रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई को चेयरमैन बनाया गया था.