UCC ड्राफ्ट से उत्तराखंड की ये जनजातियां बाहर, जानें असली वजह
Uniform Civil Code Rules: अगर उत्तराखंड में UCC लागू होता है तो पूरे राज्य में पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी. साथ ही उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों को बराबर का हिस्सा मिलेगा. विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा.
Uttarakhand Uniform Civil Code Rules: उत्तराखंड में धामी कैबिनेट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को पास कर दिया है. जल्द ही उत्राखंड सरकार इसे लागू भी कर देगी. समान नागरिक संहिता विधेयक में जनजातीय समुदाय को अलग रखा गया है.
इन जनजातियों से मांगे गए सुझाव
दरअसल, उत्तराखंड में 5 जनजातियां अधिसूचित हैं. इनकी जनसंख्या 2,91,903 है. UCC का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित कमेटी अपनी बैठक का सिलसिल प्रदेश की सीमा पर स्थित देश के पहले गांव माणा से किया. यहां कमेटी के सदस्यों ने आदिवासी समाज की स्थिति और समस्याएं जानने के साथ ही समान नागरिक संहिता के लिए सुझाव मांगे.
UCC ड्राफ्ट से बाहर रखा गया
जानकारी के मुताबिक, कमेटी ने UCC का जो प्रारूप सरकार को सौंपा है, उसमें आदिवासी समाज को बाहर रखा गया है. इसके पीछे बेहद कम जनसंख्या वाले जनजातीय समाज की संस्कृति और परपंराओं को सहेजे रखने के साथ ही उनके संरक्षण को उठाए जा रहे कदमों का उल्लेख किया गया है.
1967 में जनजाति घोषित किया गया
UCC ड्राफ्ट कमेटी ने अपनी विशिष्ट पहचान, पिछड़ेपन और विभिन्न कारणों से घटती जनसंख्या को देखते हुए राज्य की जनजातियों को समान नागरिक संहिता से बाहर रखने की सिफारिश की है. बता दें कि उत्तराखंड में बोक्सा, राजी, थारू, भोटिया और जौनसारी जातियों को 1967 में जनजाति घोषित कर दिया गया था. उत्तराखंड में बोक्सा और राजी जनजाति की स्थिति बहुत कमजोर है. इनकी स्थिति और समस्याएं सुलझाने के लिए प्रदेश और राज्य स्तर पर पहल किए जा रहे हैं. जिन जगहों पर ये जनजातियां रहती हैं, वहां 9 विभागों को इनकी स्थिति सुधारने का जिम्मा दिया गया है.
UCC ड्राफ्ट की ये अहम बातें
अगर उत्तराखंड में UCC लागू होता है तो पूरे राज्य में पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी. साथ ही उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों को बराबर का हिस्सा मिलेगा. विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा. पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान कारण और आधार उपलब्ध होंगे. एक पत्नी के जीवित रहते कोई भी दूसरी शादी नहीं कर सकेगा. लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा. अनुसूचित जनजाति के लोग इस कानून से बाहर होंगे. उत्तराखंड आजादी के बाद इसे अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा.