लखनऊ: डॉ. कफील खान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग को चिट्ठी लिखकर यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार और केंद्र की मोदी सरकार शिकायत की है. कफील ने यूएनएसआरसी को लिखे पत्र में भारत में अंतरराष्ट्रीय मानव सुरक्षा मानकों के व्यापक उल्लंघन और असहमति की आवाज को दबाने के लिए एनएसए और यूएपीए जैसे सख्त कानूनों के दुरुपयोग किए जाने की बात कही है. उन्होंने अपने पत्र में "शांतिपूर्ण तरीके से सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने" वाले कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भारत सरकार से आग्रह करने के मसले पर यूएनएसआरसी को धन्यवाद दिया है. साथ ही यह भी लिखा है कि मोदी सरकार ने यूएनएसआरसी की यह अपील नहीं सुनी.


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डॉक्टर कफील ने सीएए मामले में यूएनएसआरसी से की मोदी सरकार की शिकायत
कफील खान ने यूएनएसआरसी को लिखा है, "मानव अधिकार के रक्षकों के खिलाफ पुलिस शक्तियों का उपयोग करते हुए आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों के तहत आरोप लगाए जा रहे हैं. इससे भारत का गरीब और हाशिए पर रहने वाला समुदाय प्रभावित होगा." आपको दें कि 26 जून को संयुक्त राष्ट्र के निकाय ने कफील खान और शर्जील इमाम समेत अन्य लोगों पर लगाए गए 11 मामलों का उल्लेख करते हुए भारत सरकार को इनके मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए पत्र लिखा था. 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को दिया था कफील को रिहा करने का आदेश
कफील खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए विरोध के दौरान एक स्पीच दी थी, जिसे योगी सरकार ने भड़काऊ मानते हुए उनपर रासुका के तहत कार्रवाई की थी. कफील करीब 7 महीने तक मथुरा जेल में बंद रहे. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कफील की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन पर रासुका की कार्रवाई को गलत ठहराया था. हाई कोर्ट ने कफील खान की स्पीच को भड़काऊ नहीं मानते हुए योगी सरकार को उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था. आदेश वाले दिन ही योगी सरकार ने कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया था.


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जेल में बिताए दिनों और बीआरडी मेडिकल कॉलेज की घटना का भी पत्र में है जिक्र
जेल में बिताए दिनों के बारे में भी कफील खान ने यूएनएसआरसी को लिखी चिट्ठी में जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है, "मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और कई दिनों तक भोजन-पानी से भी वंचित रखा गया. क्षमता से अधिक कैदियों वाली मथुरा जेल में 7 महीने की कैद के दौरान मुझसे अमानवीय व्यवहार किया गया. सौभाग्य से, हाई कोर्ट ने मुझ पर लगाए गए एनएसए और 3 एक्सटेंशन को खारिज कर दिया.'' इसके अलावा कफील ने अपने पत्र में 10 अगस्त, 2017 को गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने के कारण कई बच्चों की जान जाने के मामले का भी उल्लेख किया. 


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