Kanwar Yatra 2023: कांवड़ लेकर निकला शिवभक्त आसिफ अली, भगवा कुर्ते में नमाज पढ़कर पहले खड़ा किया था बखेड़ा
Kanwar Yatra 2023: सावन के महीने में कांवड़ यात्रा पर निकला एक मुस्लिम युवक इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है. शख्स ने UCC का समर्थन किया है. पढ़िए पूरी खबर...
अरुण सिंह/फर्रूखाबाद: सावन का महीना चल रहा है. इस महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2023) निकालते हैं. इस दौरान शिवभक्त कंधे पर गंगाजल रख नंगे पाव चलकर ज्योतिर्लिंग पहुंचते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. इस बार कांवड़ यात्रा में एक ऐसा कांवड़िया शामिल हुआ, जो चर्चा का केंद्र बना हुआ है. सिर पर टोपी और सफेद कुर्ता पायजामा पहने यह शिव भक्त कोई हिंदू नहीं बल्कि एक मुस्लिम है. उनका कहना है कि उन्होंने इस बार यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के समर्थन में कांवड़ यात्रा निकाली है.
शमशाबाद के रहने वाले हैं मुस्लिम शिव भक्त आसिफ
आसिफ अली शमशाबाद के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि आस्था और देशभक्ति किसी धर्म या जाति की मोहताज नहीं है. इस बार वह समान नागरिकता कानून लागू कराने के लिए कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. इसके लिए पांचाल घाट से गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकलेंगे और पांडेश्वर नाथ मंदिर में भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे. इससे पहले वह अखंड भारत की मनोकामना के लिए फर्रुखाबाद से कांवड़ ले जाकर हरिद्वार में जलाभिषेक कर चुके हैं. यात्रा पर निकलने से पहले आसिफ ने हर हर महादेव और वंदेमातरम् के नारे लगाए.
"जरूरी है समान नागरिकता कानून"
आसिफ ने समान नागरिकता कानून लागू होने का समर्थन करते हुए कहा कि सबको समान अधिकार मिलना चाहिए. यूसीसी आने से चार शादियों का अधिकार नहीं रहेगा. बहन-बेटियों को बराबर सम्मान मिलेगा. इस दौरान आसिफ ने सरकार की योजनाओं को भी सराहा. बता दें कि कुंवर आसिफ अली इससे पहले भी चर्चा में रह चुके हैं. उन्होंने मस्जिद में भगवा रंग की कुर्ते में नमाज पढ़ी थी. उस समय उनका इमाम से विवाद हुआ था. जिस पर समुदाय विशेष के लोगों ने उनको समाज से बाहर निकालने की बात कही थी.
पहले मुस्लिम शिव भक्त नहीं हैं आसिफ
आसिफ से पहले मुजफ्फरनगर के पुरबालियान गांव का रहने वाला राजू भी चर्चा में आया था. राजू ने बताया था कि इसके पहले भी वह तीन बार कांवड़ यात्रा कर चुका है. यह उसकी चौथी कांवड़ यात्रा है. राजू नियमानुसार सोमवार का व्रत रखता है. राजू ने बताया कि मेरी भगवान शिव में अटूट आस्था है और मैं बचपन से बस अपने भोले की बात मानता हूं. मुस्लिम शिवभक्त ने बताया कि जब वह 13 साल का था, तब से उसकी भोलेनाथ में आस्था है. मुस्लिम होने के बाद भी आज तक परिवार या फिर समाज के किसी भी सदस्य ने उसे कावड़ यात्रा से नहीं रोका.
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