Fatty Liver Problem in Kids : फैटी लिवर की समस्या हाई कैलोरी और कम पोषकता वाले भोजन का ज्यादा सेवन करने वाले बच्चों होती है .अगर माता-पिता को मोटापा, डायबिटीज या फिर मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारी है तो उनके बच्चों में नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या हो सकती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बच्चों के विकास पर होता है असर 
फैटी लिवर की की समस्या, अक्सर बच्चों के लिवर की कोशिकाओं में वसा की मात्रा ज्यादा होने से होती है. इससे लिवर का आकार बढ़ सकता है. इसमें आपको थकान, भूख न लगना, कमजोरी, मितली, पेट दर्द जैसे लक्षण हों लगते है. लिवर का काम खून में मौजूद विषाक्त तत्वों को बाहर निकलना है . लिवर में बीमारी होने से बच्चों का शारीरिक विकास भी रुक जाता है. लिवर हमारे भोजन में मौजूद पोषक तत्व एंटीऑक्सीडेंट्स, मिनरल्स, विटामिन को अलग अलग करता है .लिवर शरीर के विभिन्न अंगों को पोषक तत्व भेजता है.  इसलिए जब हमारा फैटी लिवर हो जाता है तो शरीर के अंगों तक पोषक तत्व नहीं आ पाते है. 


जंक फूड है वजह  
जब हम जंक फूड जैसे  मोमो, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर आदि का सेवन करते है तो उसमे कैलोरी अधिक होती है और पोषक तत्व नहीं होते है. इसलिए प्रिजर्वेटिव युक्त सॉस से हमारा वजन और कॉलेस्ट्राल बढ़ जाता है. इसलिए जंक फूड के सेवन से बचें.


बच्चे को डाइट से अधिक नहीं खिलाएं.
हरी पत्तेदार सब्जी व मौसमी फल का सेवन जरूर करवाएं. 
बच्चों को आउटडोर गेम खेलने के लिए रोज भेजे. 


फैटी लिवर के लक्षण
जब 30 प्रतिशत से अधिक वसा की मात्रा हमारे लीवर में जमा होने पर फैटी लिवर की समस्या हो जाती है.


अगर 92 प्रतिशत मोटापा के शिकार है तो  नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर का खतरा बड़ जाता है. 


जब 10 साल के बच्चों का वजन ज्यादा हो जाता है तो फैटी लिवर का खतरा बन जाता है