water pollution in uttar pradesh: उत्तर प्रदेश में गंगा और उसकी सहायक नदियों का जल प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है. जल प्रदूषण का यह स्तर इस कदर है कि इसका पानी इंसानों की बात क्या, जानवरों के पीने लायक भी नहीं बचा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है. जबकि नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर 10 से 20 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुका है. 


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रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में मौजूद 31 नदियों में से 13 की स्थिति बद से बदतर हो गई है. जो नदियां कभी जीवनदायिनी का रूप थीं अब वह बीमारियों का घर बनती जा रही है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में गंगा समेत 13 नदिया अत्यधिक प्रदूषित श्रेणी में आ गई हैं. इसमें से एक लखनऊ की गोमती नदी भी है. इसमें गंदगी का अंबार है. गोमती नदी का पानी इंसान तो छोड़िए जानवरों के पीने लायक भी नहीं है. मानकों के अनुसार जो बैक्टीरिया 100 होना चाहिए वह 80 हजार के करीब है. गोमती की दुर्दशा के कारण उसे E श्रेणी में रखा गया है. गोमती में जलकुंभी के साथ ही बड़ी मात्रा में कचरा भी मौजूद है, जो की गोमती को खतरनाक स्थिति में ले आया है.


उत्तर प्रदेश की 31 नदियों की ये रिपोर्ट उसके जल प्रदूषण का पैमाना बताती है. इसमें  सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि कानपुर में गंगा का पानी पीने की बात तो छोड़िए बल्कि आचमन के काबिल भी नहीं रहा है. यमुना और हिंडन नदी के तो और भी बुरे हाल है. इसका पानी जानवरों के लिए भी जहरीला हो गया है. इस रिपोर्ट में कुल 13 नदियों का अध्ययन किया गया है. इसमें सबसे ज्यादा 40 नमूने गंगा नदी के जल के हैं.


कानपुर-कन्नौज, मिर्जापुर-सोनभद्र, वाराणसी-गाजीपुर और बलिया में भी गंगा का जल बेहद प्रदूषण की स्थिति में है.  कानपुर में नानामऊ गंगापुल, भैरो घाट, शुक्लागंज गंगाघाट, गोला घाट, जाजमऊ पुल, और राजापुर जैसे स्थानों पर यही हाल है. 


वाराणसी में गोमती नदी में भुसावल और जमनिया गंगा ब्रिज का पानी भी पीने या नहाने लायक नहीं है. मानक से ज्यादा घुलनशील ऑक्सीजन और बैक्टीरिया के कारण वो इस्तेमाल लायक नहीं बचा है. जल प्रदूषण के हिसाब से गंगा का जल डी या ई श्रेणी में है.  नदियों में जिन स्थानों से नमूने लिए गए हैं, वहां जल बेहद खराब है. मथुरा के शाहपुरा में यमुना का जल सबसे खराब है. 


प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों के जल में फीकॉल कोलीफार्म बैक्टीरिया अत्यधिक स्तर में पाया है,एक मिलीलीटर में 100 बैक्टीरिया के अनुपात में यह 6000 से 49 हजार तक है. वृंदावन के केसीघाट पर ये 27 हजार है. आगरा, इटावा, मथुरा, हमीरपुर इन सभी जगहों पर यमुना नदी का पानी डी श्रेणी में है.


प्रयागराज में नदी का पानी सी कैटेगरी में है. जल शोधन और निस्तारण के बाद ही यह इस्तेमाल हो सकता है. लखनऊ में गोमती नदी के पानी में बैक्टीरिया का मानक 79 हजार तक है. मोहन मीकिन और पिपराघाट में भी यही हाल है. लखनऊ में गोमती नदी का जल ई कैटेगरी में है. जानवरों के लिए यह जल जहर जैसा है. पिपराघाट में गोमती नदी के सैंपल में बैक्टीरिया का मानक 79000 है.