नोएडा : मयूर फ्लाईओवर के करीब चिल्ला रेगुलेटर से महामाया फ्लाईओवर तक 5.96 किमी लंबे एलिवेटेड रोड का काम अगले तीन महीनें में शुरू होने वाला है. यानी की अक्टूबर तक इसका काम शुरू हो जाएंगा. इस निर्माण को पूरा होने में करीब 3.5 साल का समय लग जाएंगा. यूपी स्टेट ब्रिज कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इसका टेंडर निकाला है. साथ ही  इस रोड के निर्माण के लिए एमजी कांट्रेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी का चयन किया गया है. 


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छह लेन के प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के निर्माण और पांच साल तक रखरखाव की जिम्मेदारी चयनित एजेंसी की ही होगी. इसके निर्माण में करीब 787 करोड़ की लागत लगेगी. जसमें पहले ही 74 करोड़ खर्च हो चुके है. ऐसे में 680 करोड़ का टेंडर निकाला गया था. 


50 प्रतिशत राशि देगा नोएडा प्राधिकरण
अधिकारियों ने बताया कि एलिवेटेड रोड के निर्माण के लिए  50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार की पीएम गति शक्ति से मिलेगी और बाकि की 50 प्रतिशत नोएडा प्राधिकरण वहन करेगा. इस रोड का शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 जनवरी 2019 मे किया था. जून 2020 में इसका काम शुरू हुआ था जिसके बाद करीब ढ़ाई साल तक काम बंद पड़ा रहा. 


एक-दूसरे से बड़े होगें कैरेज
इस परियोजना में मुख्य एलिवेटेड रोड के दो कैरेज होंगे. एक कैरेज 5198 मीटर का है तो दूसरा 4273 मीटर लंबा है. ये दिल्ली में चिल्ला रेगुलेटर से शुरू होगा और शाहदरा ड्रेन के ऊपर बनेगा. इसके बनने से नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेस-वे को जोड़ने वाली सड़क पर भी ट्रैफिक का दबाव कम हो जाएंगा. बगैर जाम में फंसे लोग दिल्ली चिल्ला रेगुलेटर से सीधे महामाया फ्लाईओवर तक पहुंच सकेगे. इसका सबसे ज्यादा फायदा पूर्वी दिल्ली के साथ गाजियाबाद से नोएडा- ग्रेनो के बीच सफर करने वालो को मिलेगा. 


कितने लोगों को मिलेगा इससे फायदा
इस एलिवेटेड रोड के बनने से नोएडा, परी चौक तक लगने वाले जाम की समस्या से लोगों को मुक्ति मिलेगी. इस रोड के बनने से देश के अलग-अलग हिस्सों में रोजाना करीब दस लाख लोगों को फायदा मिलेगा. 


लागत के पीछे हुए विवाद
एलिवेटेड रोड के काम को दोबारा शुरू कराने में काफी इंतजार करना पड़ा हालांकि एक बार इसका काम शुरू भी हुआ लेकिन फंड ना देने की वजह से काम बीच में ही रोकना पड़ा था. बताया जा रहा है कि शासन के पास पीएम गतिशक्ति का 100 करोड़ रुपए आया है जो कि अब इस रोड के निर्माण में लगाया जाएंगा. जबकि कुछ महीने पहले इसका टेंडर निकाला था. जिसके बाद अब लिहाजा टेंडर निरस्त पड़ा है. इसकी अनुमानित लागत के पीछे काफी विवाद भी हुए है. अब शासन ने इसकी अनुमानित लागत करीब 787 करोड़ आंकी है.