गौतम बुद्ध नगर: नोएडा के किसानों की मांग पूरी की जा सके इसके लिए बनाई गई हाइपावर कमेटी की रिपोर्ट को अब सार्वजनिक किया गया है जिसको सीएम को भेजा गया है. अध्यक्ष राजस्व परिषद यूपी की अध्यक्षता इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है. रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के बाद किसानों ने अपना प्रदर्शन भी आखिरकार खत्म किया है. 


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ये है किसानों की मांग
1997 के बाद के सभी किसानों को मुआवजा बढ़ी दर से दिया जाए. ये किसाना कोर्ट गए हो या नहीं गए हो.
किसानों को 10 फीसदी विकसित भूखंड दिया जाए. 
आबादी जैसी है वैसी ही रहे. विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाया जाए, इसे 1000 प्रति वर्गमीटर कर दिया जाए. 
भूमि उपलब्धता नही होने से भू लेख विभाग में पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड नहीं रोके जाएंगे. इनका नियोजन होगा. 
भवनों की ऊंचाई को बढ़ाने अनुमति मिली. ऐसे में गांवों के करीब ही कई हाइराइज इमारत है. इस तरह से उनका क्षेत्र लो लेयिंग एरिया में आ चुका है.
5 प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियां चलाए जाने की अनुमति मिली. 
गांवों के लिए खेल बजट का प्रावधान हो. 
गांवों में लाइब्रेरी का निर्माण किए जाएं. 


किसानों की मांग पर किस तरह का होगा एक्शन? 
अधिग्रहित व कब्जा प्राप्त भूमि पर अब तक अतिक्रमण दिखाकर अधिकारियों द्वारा जिन 6070 किसानों के 5 फीसदी विकसित भूखंड को रोका गया था उनको दो माह भीतर नोएडा प्राधिकरण को लगाना होगा. इसके अलावा जिन गांव में किसानों की आबादी निस्तारण प्रक्रिया को साल 2011 में पूरा कर लिया गया था उन गांव के किसानों के नाम खतौनी में आज तक नहीं चढ़ा. दो माह में नोएडा के 81 गांव में 3839 किसानों के नाम बैक लीज किया जाए और खतौनी में जोड़ा जाएगा. आबादी निस्तारण के लिए प्रति वयस्क का दायरा पहले 450 मीटर हुआ करता था जिसको बढ़ाकर अब हजार वर्ग मीटर प्रति वयस्क कर दिया गया है. किसानों की आबादी चयनित किया जाएगा और पेरीफेरल सड़क के द्वारा आबादी तय की जाए. सड़क का निर्माण तीन माह के भीतर पूरा कर लिया जाएगा. 


किसानों के कौन से मुद्दे हुए खारिज
साल 1997 से अब तक हर एक किसान को 10 फीसदी विकसित भूखंड उपलब्ध किया जाएगा.  
साल 1997 से साल 2002 के बीच के समय में भूमि अधिग्रहण में 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा हर एक किसान को दिया जाए. 
व्यवसायिक गतिविधियों को 5 फीसदी विकसित भूखंड पर मान्य नहीं किया गया.


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