Ghaziabad Court Clash: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज वकीलों की हड़ताल, गाजियाबाद कोर्ट में लाठीचार्ज का विरोध, जिला जज के खिलाफ मुहिम
Ghaziabad Court Clash: गाजियाबाद में जिला जज की कोर्ट में मंगलवार को खूब बवाल हुआ. सुनवाई के दौरान ही वकील और जज ऐसे भिड़े की बात पुलिस बुलानी पड़ी. फिर लाठीचार्ज हुआ. कचहरी चौकी में तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई और अब वकील धरने पर बैठ गए हैं. जानिए पूरा मामला.
Ghaziabad Court Clash: गाजियाबाद में जिला जज की कोर्ट में वकीलों और जज के बीच ऐसी नोकझोंक हुई कि बात पुलिस तक पहुंच गई. फिर पुलिस ने बल प्रयोग कर वकीलों को कोर्ट से खदेड़ा. फिर गुस्साए वकीलों ने तोड़फोड़ कर कचहरी चौकी को ही फूंक दिया. जिसका वीडियो भी वायरल हुआ. अब इस मामले में जहां एक ओर वकील हड़ताल पर हैं तो वहीं दूसरी ओर पुलिस भी एक्शन में है. पुलिस ने पूर्व बार अध्यक्ष नाहर सिंह यादव समेत 50 अज्ञात वकीलों के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज किए हैं. इसमें वकीलों पर तोड़फोड़, पथराव, सरकारी कार्य में बाधा डालने, आगजनी जैसे संगीन आरोप हैं.
वकीलों का विरोध प्रदर्शन
उधर, पुलिस के लाठीचार्ज के खिलाफ वकीलों ने भी मोर्चा खोल दिया है. पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज वकीलों की हड़ताल है. कोर्ट में हुए बवाल के बाद बार काउंसिल ऑफ यूपी ने प्रयागराज में आपात बैठक बुलाई. गुस्साए वकील जिला जज के ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं. साथ ही लाठीचार्ज करने वाले पुलिस अफसरों पर एक्शन लेने की मांग वकील कर रहे हैं. वकीलों पर हुए लाठीचार्ज पर बार काउंसिल ऑफ यूपी के अध्यक्ष शिवकुमार गौड़ ने गाजियाबाद में विरोध दर्ज कराया है. उन्होंने पूरे केस की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए एक विशेष कमेटी भी बनाई है. इसमें रोहिताश्व अग्रवाल, मधुसूदन त्रिपाठी, अरुण त्रिपाठी, अजय यादव और प्रशांत सिंह अटल को शामिल हैं. पूरे मामले की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट बार काउंसिल में पेश करने के निर्देश कमेटी को निर्देश दिए गए हैं.
पुलिस पर कार्रवाई की मांग
वकीलों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर अध्यक्ष ने विरोध जताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि दोषी चाहें पुलिस-प्रशासनिक या फिर न्यायिक अधिकारी हो, वो बख्शे नहीं जाएंगे. हमारी मांग है कि हाईकोर्ट ऐसे अफसरों के विरुद्ध जांच कर सख्त कार्रवाई करे और कोर्ट परिसर से पुलिस को तत्काल हटाया जाए. इस पूरे प्रकरण में आज शाम 4 बजे प्रयागराज में आपात बैठक बुलाई गई है. इस मामले में बार काउंसिल ऑफ यूपी के पूर्व अध्यक्ष मधुसूदन त्रिपाठी ने गाजियाबाद के जिला जज को सस्पेंड करके ट्रांसफर करने और घायलों के इलाज के लिए दो-दो लाख रुपए मदद देने की मांग की है.
मेरठ में हुई अहम बैठक
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार शाम को मेरठ में हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक हुई. जिसमें वेस्ट यूपी के वकीलों ने 30 अक्टूबर को हड़ताल पर रहने का फैसला लिया गया. इतना ही नहीं इस मामले में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, नोएडा, बुलंदशहर, बिजनौर, हापुड़, अलीगढ़ आदि जिलों के बार अध्यक्षों से फोन पर बातचीत की. गाजियाबाद में वकीलों पर लाठीचार्ज पर सभी ने नाराजगी जताई. जिसके बाद फिलहाल एक दिन की हड़ताल का फैसला हुआ.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, कविनगर थाने में एक केस दर्ज है, जिसके 9 आरोपी अग्रिम जमानत पर चल रहे हैं. इनकी रेगुलर बेल पर सुनवाई होनी थी. जिसके लिए 29 अक्टूबर को गाजियाबाद बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नाहर सिंह यादव जिला जज अनिल कुमार की कोर्ट में पहुंचे. यहां सुनवाई के दौरान आरोपियों की जमानत पर बहस को लेकर जिला जज और अधिवक्ता भिड़ गए. जज और वकीलों में कहासुनी इतनी बढ़ गई कि गाली-गलौज भी हुई. हालांकि, जैसे ही विवाद और बढ़ने लगा जिला जज अपने कक्ष में चले गए, लेकिन वकील जिला जज की कोर्ट में ही जमे रहे. ऐसे में पुलिस को बुलाने की नौबत आ गई. जब मौके पर पुलिस पहुंची तो उसने भी वकीलों को समझाने की खूब कोशिश की, लेकिन डटे रहे.
वकीलों पर लाठीचार्ज
इसके बाद पुलिस और वकीलों में ही बहस होने लगी. जब बात नहीं बनी तो पुलिस और पीएसी ने बल प्रयोग कर वकीलों को दौड़ा दिया. आरोप है कि लाठीचार्ज में 10 से ज्यादा वकीलों को चोट लगी है. वहीं, एक पुलिसकर्मी भी घायल है. इससे गुस्साए वकीलों ने कचहरी चौकी में खूब उत्पात मचाया. ये बवाल करीब 3 घंटे तक चला. आरोप है कि वकीलों ने कोर्ट की खिड़कियों के शीशे और चेकिंग गेट तोड़ दिए. इतना ही नहीं कुर्सी मेज भी फेंक दी और तो और पुलिस चौकी के अंदर स्थित CCTV सर्वर रूम को भी क्षतिग्रस्त कर डाला. इसके बाद पुलिस चौकी में आग लगा दी. इस मामले में दो मुकदमे दर्ज हुए हैं.
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