Lucknow: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की जाएगी. इसके तहत 83 हजार युवा प्रशिक्षित होंगे जिसमे डिप्लोमा धारकों के साथ ही स्नातकों को भी अप्रेंटिस का मौका दिया जाएगा. जिसके लिए उच्च शिक्षा विभाग में 100 करोड़ बजट का प्रावधान किया है और सभी विवि और उच्च शिक्षण संस्थानों में इस योजना का प्रचार प्रसार किया जाएगा. योजना में 21 विभाग और उनके कार्य क्षेत्र में आने वाले सभी निजी संस्थानों में एनटीएस की मॉनिटरिंग भी की जाएगी. योगी कैबिनेट ने हाल ही में इस योजना को मंजूरी दी है.


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इस योजना का उद्देश्य उद्योगों, अधिष्ठानों को अतिरिक्त आर्थिक सहायता के माध्यम से लाभान्वित करते हुए बड़ी संख्या में युवाओं को अप्रेंटिस ट्रेनिंग के लिए प्रेरित करना है. साथ ही राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) को लागू करने वाले प्रत्येक उद्योग, अधिष्ठान द्वारा प्रत्येक ट्रेनी को प्रदान किए जाने वाले स्टाइपेंड में भारत सरकार द्वारा दी जा रही प्रतिपूर्ति धनराशि के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1000 रुपए प्रति माह की अतिरिक्त धनराशि की प्रतिपूर्ति (टॉप-अप) की जाएगी.


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35 हजार से ज्यादा युवाओं ने कराया पंजीकरण
मुख्यमंत्री अप्रेंटिसशिप प्रोत्साहन योजना यानी मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (उच्च शिक्षा) के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 35,000 से अधिक युवाओं ने पंजीकरण कराया है. इसमें से लगभग 2,753 उम्मीदवार वर्तमान में बतौर शिक्षुता कार्य कर रहे हैं. इसका मुख्य उद्देश्य उद्योगों और प्रतिष्ठानों के लिए एक बड़ा, उच्च-कुशल कार्य बल तैयार करते हुए अधिकतम संख्या में युवाओं को प्रशिक्षण के लिए प्रेरित करना है. 


6 महीने से लेकर एक वर्ष की समयावधि के लिए कार्यक्रम का होता है संचालन
सीएमएपीएस (एचई) स्नातकों और डिप्लोमा धारकों के लिए शिक्षुता प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसमें 6 महीने से एक साल तक के कार्यक्रमों का संचालन होता है. यह योजना स्नातकों के लिए 9,000 रुपये और डिप्लोमा धारकों के लिए उनके प्रशिक्षण अवधि के दौरान 8,000 रुपये के न्यूनतम मासिक स्टाइपेंड की गारंटी देती है.  


डैशबोर्ड के माध्यम से किया जाता है ट्रैक
सीएमएपीएस की ट्रैकिंग व मॉनिटरिंग को राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) पोर्टल पर एक समर्पित डैशबोर्ड के माध्यम से ट्रैक किया जाता है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित होती है. यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार के 21 विभागों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में शुरू की जा रही है, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 में चिकित्सा, स्वास्थ्य, एमएसएमई, रीटेल और शिक्षा क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. उद्योगों और प्रतिष्ठानों की सूची प्रदान करके, राज्य सरकार के पांच विभाग योजना के जमीनी क्रियान्वयन में सक्रिय रूप से शामिल हैं. चुनौतियों के बावजूद, योजना ने उल्लेखनीय प्रगति की है. 


उद्योगों की बढ़ती भागीदारी को दर्शाया
वित्त वर्ष 2024-25 में, अब तक 858 पंजीकृत उद्योग हैं, जो पिछले वर्ष की 826 की संख्या से अधिक हैं. उपलब्ध प्रशिक्षण सीटों की संख्या भी बढ़कर 40,297 हो गई है, जो कार्यक्रम में उद्योगों की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है. इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार इस पहल में शामिल होने के लिए अधिक प्रतिष्ठानों को प्रोत्साहित करने में सक्रिय रही है, जैसा कि 62 नए पंजीकृत प्रतिष्ठानों और 380 नई जोड़ी गई प्रशिक्षण सीटों से स्पष्ट है.


भारतीय उद्योग संघ द्वारा किया गया है एमओयू
योजना के प्रसार को और बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने भारतीय उद्योग संघ (आईआईए) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. इस सहयोग का उद्देश्य अधिक उद्योगों को शामिल करना और युवाओं के लिए प्रशिक्षण के अधिक अवसर पैदा करना है. इसके अलावा, सीएएमपीएस के सुव्यवस्थित समन्वय और कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पांच विभागों में राज्य-स्तरीय नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं. उद्योगों तक पहुंच के अलावा, योगी सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों के भीतर जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया है. 


जागरूकता कार्यक्रम सितंबर तक रहेंगा जारी
पिछले महीने से राज्य भर के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों के प्राचार्यों के लिए जागरूकता कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की गई है. कानपुर, लखनऊ, बरेली और गोरखपुर विश्वविद्यालयों में आयोजित ये बैठकें यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं कि शैक्षणिक नेतृत्वकर्ताओं को सीएएमपीएस के बारे में अच्छी जानकारी हो और वे अपने छात्रों को इस मूल्यवान अवसर से लाभान्वित होने के लिए मार्गदर्शन उपलब्ध करा सकेंगे. जागरूकता कार्यक्रम इस साल सितंबर तक जारी रहेंगे.


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