हरिद्वार: कोरोना वायरस के मद्देनजर कावंड यात्रा निरस्त होने के बाद हरिद्वार कुंभ के आयोजन की स्थिति भी अब साफ हो गई है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अखाड़ा परिषद के संत महात्माओं के बीच हुई बैठक में कुंभ को अगले साल ही आयोजित किए जाने का फैसला लिया गया है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण को देखते हुए कुंभ मेले को 1 साल के लिए टाल दिए जाने की मांग उठ रही थी. लेकिन अब ये साफ हो गया है कि कुंभ अगले साल ही होगा.


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कुंभ मेले के स्वरूप और हरिद्वार कुंभ में इकट्ठे होने वाले भक्तों की संख्या को लेकर फिलहाल अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है, सरकार अगले साल फरवरी में इसे लेकर फैसला लेगी. त्रिवेंद्र सरकार ने विश्वास दिलाया है कि कुंभ की तैयारियों में किसी किस्म की लापरवाही नहीं बरती जाएगी. कुंभ के लिए हो रहे किसी भी तरह के निर्माण कार्य को नहीं रोका जाएगा. बता दें कि, हरिद्वार कुंभ के लिए कई सड़कों और पुलों का निर्माण किया जाना है. इसके अलावा भी कई तरीके के कार्य कुंभ के लिए होने हैं.


विशेष ग्रह नक्षत्र के संयोग पर ही आयोजित होता है कुंभ
वास्तव में कुंभ आयोजित करने के लिए ग्रह नक्षत्रों का एक विशेष समय निर्धारित होता है. जब मेष राशि में सूर्य तथा कुंभ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होता है तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. यह संयोग 2021 में दिखाई दे रहा है, लेकिन 2022 में ऐसा कोई संयोग नहीं बनता नजर आ रहा है. यही मुख्य कारण है कि अखाड़ा परिषद में हरिद्वार महाकुंभ को 2021 में ही आयोजित किए जाने का फैसला लिया गया है.


हरिद्वार कुंभ में होने हैं 4 शाही स्नान
हरिद्वार में अगले साल 2021 में होने जा रहे कुंभ में चार शाही स्नान होने हैं. पहला शाही स्नान  गुरुवार, 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि के दिन होगा. दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर आयोजित होगा. वहीं, तीसरा शाही स्नान अप्रैल मेष संक्रांति को और आखिरी शाही स्नान वैशाखी, मंगलवार 27 अप्रैल चैत्र माह की पूर्णिमा को होगा.


हरिद्वार कुंभ में 6 अन्य स्नान भी प्रस्तावित
हरिद्वार कुंभ में 4 शाही स्नान के अलावा भक्तों के लिए कई अन्य दिन तय हो चुके हैं. प्रमुख स्नान मकर संक्रान्ति यानी 14 जनवरी को, मौनी अमावस्या यानी 11 फरवरी को दूसरा स्नान, बसंत पंचमी 16 फरवरी को तीसरा, 27 फरवरी माघ पूर्णिमा को, 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी हिन्दी नववर्ष के दिन और 21 अप्रैल राम नवमी को भी स्नान के दिन तय किए जा चुके हैं.