Haridwar Hindi News: हरिद्वार स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के संचालन को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर देने का निर्णय लिया गया है. इस पर चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने स्पष्ट किया है कि इससे मेडिकल छात्रों की फीस में कोई वृद्धि नहीं होगी. 


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छात्रों को सरकारी मेडिकल कॉलेज जैसी सुविधाएं
डॉ. सयाना ने बताया कि कॉलेज में अध्ययनरत छात्रों को सभी सुविधाएं सरकारी मेडिकल कॉलेजों के समान ही मिलेंगी. उनके शैक्षिक प्रमाणपत्र और डिग्रियों पर राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार का ही नाम दर्ज होगा.


100 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी
हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में इसी सत्र से 100 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी मिली है और पढ़ाई भी शुरू हो गई है. बेहतर संचालन और आधुनिक सुविधाओं के लिए कॉलेज को पीपीपी मोड पर देने का निर्णय लिया गया है.


मरीजों को लाभ
अस्पताल में भर्ती मरीजों को उनके आयुष्मान कार्ड और सीजीएचएस दरों पर ही उपचार मिलेगा. पीपीपी मोड का उद्देश्य अस्पताल और कॉलेज की सुविधाओं को आधुनिक बनाना है ताकि छात्रों और मरीजों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके.


आमजन और छात्रों को नहीं होगा नुकसान
डॉ. सयाना ने कहा कि इस फैसले से छात्रों और आमजन को भ्रमित होने की जरूरत नहीं है. पीपीपी मोड का मकसद सुविधाएं बेहतर करना है, न कि किसी प्रकार का आर्थिक बोझ बढ़ाना. 


निजीकरण को लेकर छात्रों ने किया बवाल 
हरिद्वार में नवनिर्मित राजकीय मेडिकल कॉलेज के निजीकरण को लेकर विरोध शुरू हो गया है. छात्रों ने कॉलेज के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू किया और कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक यह विरोध जारी रहेगा. इस फैसले को लेकर विपक्ष भी मुखर हो गया है और इसे जनता के साथ धोखा करार दिया है. मेयर प्रतिनिधि अशोक शर्मा ने कहा कि नगर निगम ने हरिद्वार की जनता को सस्ता और सुलभ इलाज देने के लिए कॉलेज के लिए जमीन दी थी. लेकिन सरकार के इस निर्णय से जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है और इस फैसले का विरोध किया जाएगा. 


 


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