Nainital News: नैनीताल पर भी जोशीमठ जैसा खतरा, घरों में पड़ती दरारों के बीच खाली हो रहे मकान
Uttarakhand News: उत्तराखंड का झीलों का शहर लगातार हो रही भारी बारिश से कुदरत का प्रकोप झेल रहा है. बारिश की वजह से नैनीताल में भी जोशीमठ जैसे हालात होते ... पढ़िए पूरी खबर ...
Nainital News/सुरेंद्र डसीला: उत्तराखंड का झीलों का शहर लगातार हो रही भारी बारिश से कुदरत का प्रकोप झेल रहा है. बारिश की वजह से नैनीताल में भी जोशीमठ जैसे हालात होते दिखाई दे रहे हैं. यहां नैनीताल से लगे खूपी गांव में सैकड़ों परिवार हर रोज रातभर डर के साये में जीने को मजबूर हैं. इन घरों की दीवारों और बीमों में आई दरारें और लोगों के चेहरे पर पड़ी हुई लकीरें इस बात की गवाही दे रही हैं की इन्हें अपनी जान का डर तो है. लेकिन अपने पुश्तैनी घरों से लगाव भी उतना ही है.
पहाड़ियां भूस्खलन से हो रहीं कमजोर
नैनीताल के आसपास की अधिकांश पहाड़ियां भूस्खलन के कारण लगातार कमजोर हो रही हैं. भूस्खलन से नैनीताल का खूपी गांव पिछले कई दशकों से प्रभावित है. खुपी गांव की तलहटी में हो रहे भू-कटाव से कई घरों में बड़ी - बड़ी दरारें पड़ गई हैं. इससे गांव के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो रहा है. तो वहीं लोग भी मौत के साये में जीने को मजबूर हैं. खूपी गांव में वर्षों से हो रहे भूस्खलन से हालात इतने बदहाल हो चुके हैं कि वर्षाकाल के दौरान ग्रामीणों को रात जागकर गुजारनी पड़ रही है.
नाले का बरसात में बहाव तेज
खूपी गांव के नीचे बहने वाले पाइंस नाले का बरसात में बहाव बहुत तेज हो जाता है. इससे गांव के नीचे से भूकटाव की स्थिति पैदा हो जाती है. लगभग डेढ़ किलोमीटर की परिधि में बसे इस छोटे से गांव में निम्न वर्ग के श्रमिक लोग बसेरा करते हैं. इनकी अपनी पुस्तैनी भूमि में मकान है. भूकटाव से गांव का पहाड़ धीरे धीरे नीचे की ओर खिसक रहा है. इससे घरों समेत सड़कों और दूसरी जगहों में दरारें बढ़ती जा रही हैं. मकानों के फर्श भी टूटकर अलग हो गए हैं.
उप जिलाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया
वहीं उप जिलाधिकारी प्रमोद कुमार ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र खूपी का निरीक्षण कर बताया कि गांव की तलहटी में हो रहे भूकटाव के चलते गांव के कुछ घरों में दरारें आ गई हैं. जिन्हें सुरक्षा के मद्देनजर खाली करने को कहा है. उन्होंने मौके पर मौजूद सिचाई विभाग के अधिकारियों को इसकी रोकथाम के लिए डीपीआर बनाने के निर्देश दिए हैं. ताकि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में काम शुरू किया जा सके.
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