UP की इस जेल के अंदर गोसेवा करके पाप धो रहे हैं कैदी, पा रहे हैं सैलरी
बड़े-बड़े दुर्दांत अपराधी जो लूट, हत्या और अपहरण जैसे मामलों में जेल में बंद हैं, वो भी गाय की सेवा करके खुद को धन्य समझ रहे हैं.
लखनऊ, (विशाल सिंह रघुवंशी): यूपी में जबसे योगी सरकार आई है, तबसे गाय की देखभाल की हर तरफ विशेष कोशिश हो रही है. इसी क्रम में यूपी की जेलों में भी गौशाला की शुरुआत योगी सरकार ने करवाई और 16 जिलों की जेलों में गौशाला खोलने और वहां पर व्यापक शुरुआत के आदेश दिए. इनमें से एक है.
लखनऊ की मॉडल जेल, जिसके अंदर करीब एक बीघे में फैली है. गौशाला में मौजूदा समय में करीब 56 गाय हैं, जिनमें से 31 गाय पूरी तरह से दुधारू हैं, साफ-सफाई रखरखाव के लिए यहां बाकायदा वहीं सजा याफ्ता कैदी हैं, जो इन जेलों में अपनी सजा काट रहे हैं.
सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात का है कि बड़े-बड़े दुर्दांत अपराधी जो लूट, हत्या और अपहरण जैसे मामलों में जेल में बंद हैं, वो भी गाय की सेवा करके खुद को धन्य समझ रहे हैं. ऐसा ही मानना है लखनऊ जेल में बंद एक मुस्लिम कैदी मोहम्मद अली और नीरज मिश्रा का, जो 302 के मामले में जेल में सजा काट रहा है. लेकिन उसे भरोसा है कि गाय की सेवा उसे जल्द से जल्द जेल से मुक्ति दिलवाएगी और वो बाहर जाकर अपनी एक आम जिंदगी जी सकेंगे.
कैदी अब जेल में गाय की सेवा करने के बाद बिसनेस माइंडेड भी हो गए हैं. उन्हें पता है कि यहां सजा काटने के बाद जब वो बाहर जाएंगे तो कैसे वो एक गाय के साथ अपने इस बिजनेस की शुरुआत कर सकेंगे और कैसे खुद को मुख्य धारा में लौटा सकेंगे.
यूपी के एडीजी जेल चंद्रप्रकाश बताते है कि योगी सरकार की जेलों में गौशाला का प्रयोग तो पूरी तरह से सफल दिख रहा है, जो अपराधी है वो गोसेवा करके तनाव से दूर मानसिक शांति पा रहे है. जेल के अंदर ऐसे पॉजिटिव माहौल के बाद जेल विभाग ये कोशिश कर रहा है और ज्यादातर जेलों में भी गौशाला के जरिए पॉजिटिव आचरण कैदियों में लाया जा सके. लखनऊ के साथ ही बांदा जेल का जिक्र करते हुए बताते है कि वहां डकैत गौशाला में दिन-रात लगे रहते है. लखनऊ मॉडर्न जेल के जेलर वी के गौतम बताते है कि 12 कैदियों को यहां गौशाला की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो दिन-रात गाय की देखभाल में लगे रहते हैं.
उन्होंने बताया कि यहां औसतन करीब 1 गाय से करीब 5 लीटर दूध देती है. रोज करीब 110 लीटर दूध इस गौशाला से उपलब्ध हो जाता है. जो कैदियों के लिए चाय, बीमार कैदियों, महिला जेल और जिला जेल में भी दूध की सप्लाई होती है. इन सबके बाद जो भी दूध बचता है. उसे बाहर सप्लाई किया जाता है और इनसे जो पैसा मिलता है. वो कैदियों के डेली वेजेस में जोड़ दिया जाता है. गौशाला में काम करने वाले कैदियों को औसतन 6 से 7 हजार रुपये भी इसी जेल से मिलते हैं, जिससे इन सभी का घर भी चलता है.
फिलहाल जेल में सफाई की बेहद शानदार व्यवस्था है और जहां एक तरफ जेल की खबर अक्सर सरकार की किरकिरी करवाती है, वहां एक तस्वीर ये भी है कि गौशाला में सेवा करने वाले कैदी ये मानते है कि उनके पाप यहां सेवा करने से धूल जाएंगे.