Union Budget 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा फिर गरमाने लगा है. रेलवे की एक दर्जन से ज्यादा यूनियनों ने अलग-अलग जगहों पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है और अन्य कर्मचारी संगठनों ने भी इस आंदोलन में कूदने का साफ संकेत दिया है. हालांकि कर्मचारी संगठनों के मूड को भांपते हुए सरकार बजट में बड़ा ऐलान कर सकती है. पुरानी पेंशन के मुकाबले न्यू पेंशन स्कीम को आकर्षक बनाने के लिए निवेश पर छूट और आंशिक निकासी जैसे मुद्दों पर राहत की घोषणा कर सकती है. 


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एक फरवरी, 2024 को मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश करने जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यह अंतरिम बजट (Interim Budget) लोकसभा चुनावों से पहले इसलिए पेश किया जाएगा. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार कई लोकलुभावन घोषणा की जा सकती है. जिनमें से एक नई टैक्स व्यवस्था में नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश पर छूट मिलने की उम्मीद है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेंशन फंड रेगुलेटर (PFRDA) ने बजट के लिए वित्त मंत्रालय से इसके लिए सिफारिश भी की है.


सूत्रों के मुताबिक, अभी तक ओल्ड टैक्स रिजीम में नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश पर टैक्स में छूट दी जाती है. अब अंतरिम बजट में इनकम टैक्स की न्यू टैक्स रिजीम में छूट देने की घोषणा की जा सकती है. PFRDA ने नेशनल पेंशन स्कीम और PF में सैलरी में कटौती की सीमा के लिए रिव्यू करने की मांग की है. अभी तक प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी EPF में मूल वेतन का अधिकतम 12% तक और नेशनल पेंशन स्कीम में 10% कांट्रीब्यूट करते हैं.


बता दें कि पुरानी पेंशन स्‍कीम को लेकर लंबे समय से कर्मचारी मांग कर रहे हैं. इतना ही नहीं हाल ही में लाखों की संख्‍या में सरकारी कर्मचारी दिल्‍ली के जंतर-मंतर पहुंचे थे. यहां सरकार से ओल्‍ड पेंशन स्‍कीम बहाली की मांग की थी. साथ ही कर्मचारियों ने एकजुट होकर शक्ति का प्रदर्शन भी किया था. 8 जनवरी से 11 जनवरी तक देश के अलग-अलग हिस्सों में कर्मचारी 'रिले हंगर स्ट्राइक' पर हैं. ओपीएस बहाली के लिए ठोस आश्वासन न मिलने की स्थिति में देशभर के दस करोड़ कर्मचारी और पेंशनर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते है. इस स्थिति में कई विभागों में कामकाज ठप हो जाएगा. 


अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले 'पुरानी पेंशन' लागू नहीं होती है, तो सत्ताधारी बीजेपी को नुकसान भुगतना पड़ेगा. कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है. जो एक बड़ी संख्या है. इससे चुनाव में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है.