Success Story: कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तराखंड के रहने वाले दीपक सिंह बिष्ट ने. उन्होंने 12वें प्रयास में सीडीएस की परीक्षा पास कर सेना में अफसर बने हैं. बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले दीपक के लिए यह सफलता आसान नहीं रही. लेकिन जोश-जज्जे और कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने इस चुनौती को पार कर सपना साकार किया है.


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पिता चलाते हैं ढाबा
सीडीएस क्वालिफाई कर सेना में लेफ्टिनेंट बने दीपक सिंह अल्मोड़ा जिले के बग्वालीपोखर रानीखेत के रहने वाले हैं. उनके पिता दिल्ली में एक ढाबा चलाते हैं. घर के पास ही उनकी शुरुआती पढ़ाई प्रिंस पब्लिक स्कूल से हुई. इसके बाद उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया. यहां के सूरजमल विहार के स्कूल से उन्होंने बारहवीं पास की. इस दौरान उन्होंने एनसीसी ज्वॉइन किया. यहां से वह सेना में अफसर बनने का ख्वाब देखने लगे.


10 बार हुए फेल
दीपक की राह इतनी आसान नहीं थी. सामान्य परिवार से आने के बावजूद उनके सपने आसमान जैसे ऊंचे थे. सेना में अफसर बनने के लिए उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ मेहनत की. लेकिन एक दो नहीं बल्कि 10 बार उनके हाथ असफलता आई. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत को जारी रखा. 11वीं बार में उन्होंने सीडीएस परीक्षा पास की लेकिन एयरफोर्स में उनका सिलेक्शन हुआ. लेकिन दीपक आर्मी में जाना चाहते थे. इसीलिए 12वीं बार वह सीडीएस में शामिल हुऐ और लेफ्टिनेंट बने हैं. 


वर्दी में बेटे को देख भावुक हुए माता-पिता
इंडियन मिलिट्री एकेडमी में बीते शनिवार को पासिंग आउट परेड हुई. जिसमें दीपक सिंह बिष्ट का सपना भी पूरा हुआ. अपने बेटे को वर्दी में देखकर उनके पिता राजेंद्र सिंह बिष्ट और मां गीता देवी की भी खुशी से आंखें छलक उठीं. जानकारी के मुताबिक दीपक ने सेना की तैयारी के समय गरीब बच्चों कोट ट्यूशन भी दी थी.


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