सुनील सिंह/संभल: भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष में दिवंगत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध , तर्पण आदि कर ब्राह्मणों को दान पूर्ण किए जाने की प्राचीन परंपरा है, लेकिन उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक ऐसा गांव है, जहां पितृ पक्ष में न ही श्राद्ध कर्म किया जाता है और इस दौरान गांव में ब्राह्मण के प्रवेश पर पाबंदी की अनोखी परम्परा कई दशक से चली आ रही है. यही नहीं पितृपक्ष में गांव में किसी भी तरह का दान पुण्य पूरी तरह प्रतिबंधित है.


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संभल के इस गांव में श्राद्धकर्म पर पाबंदी
संभल के इस गांव का नाम है भगता नगला, जो गुन्नौर तहसील में स्थित है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं,  पितृपक्ष में  मृतकों के श्राद्ध कर्म और दान पुण्य पर पाबंदी लगभग 80 वर्षों से चली आ रही है. श्राद्ध कर्म पर पाबंदी के अलावा पितृपक्ष के 16 दिनों तक ग्रामीण मृतकों की आत्मा की शांति के लिए किसी भी प्रकार का पूजा पाठ , हवन आदि नहीं कर सकते. यही नहीं पितृ पक्ष के दिनों में भगता नगला गांव में ब्राह्मणों के प्रवेश पर प्रतिबंन्ध रहता है.


श्राद्ध कर्म नहीं करने के पीछे क्या है परंपरा?
पितृपक्ष में श्राद्ध , तर्पण आदि पर पाबंदी की वजह को लेकर गांव के बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि  लगभग 8 दशक पूर्व नजदीक के गांव की एक ब्राह्मण महिला भगता नगला गांव  में किसी ग्रामीण के घर पर मृतक परिजन का श्राद्ध सम्पन्न कराने आई थी, लेकिन श्राद्ध कर्म काण्ड  सम्पन्न कराने के बाद गांव में मूसला धार बरसात शुरू हो गई जो की कई दिन तक होती रही. बरसात की वजह से ब्राह्मण महिला को कई दिन तक ग्रामीण के घर पर ही रुकना पड़ा.


ब्राह्मण महिला को पति ने चरित्र पर उठाए सवाल
गांव में कई दिन बाद बारिश रुकने के बाद ब्राह्मण महिला जब वापस अपने गांव में घर पर पहुंची तो ब्राह्मण महिला के पति ने उसके चरित्र पर तरह तरह के आरोप लगाकर अपमानित कर घर से निकाल दिया. पति से अपमानित होने के बाद ब्राह्मण महिला वापस भगता नगला  गांव पहुंची और ग्रामीणों को सारी बात बताते हुए ग्रामीणों से कहा  पितृपक्ष में  श्राद्ध  सम्पन्न कराए जाने की वजह से उसे अपमानित किया गया है.


ग्रामीणों ने दिया ब्राह्मण को प्रवेश न देने का वचन
इसलिए ग्रामीण उसे वचन दे की आज के बाद ग्रामीण पितृ पक्ष में किसी भी ब्राह्मण को अपने गांव में प्रवेश नही देंगे,न ही श्राद्ध कर्म  दान पुण्य करेंगे. बताया जाता है तभी से भगता नगला गांव में पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने और गांव में ब्राह्मण का प्रवेश  प्रति बंधित है. पितृ पक्ष में गांव में ब्राह्मणों के प्रवेश पर पाबंदी और दान पूर्ण न करने के लिए अनोखी परंपरा कई दशक बाद भक्त नगला गांव में आज भी बरकरार है.