अयोध्या फैसला: जमीयत ने दाखिल की रिव्यू पिटिशन, इकबाल अंसारी ने कही ये बड़ी बात
बाबरी मस्जिद पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने रिव्यू पिटिशन को गलत ठहराया है. इकबाल अंसारी का कहना है कि हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मान लिया है.
अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा अयोध्या केस (Ayodhya Case) में सुनाए गए फैसले के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulema-E-Hind) ने रिव्यू पिटिशन दाखिल कर दी है. वहीं अब रिव्यू पिटिशन को लेकर प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं. बाबरी मस्जिद पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने रिव्यू पिटिशन को गलत ठहराया है. इकबाल अंसारी का कहना है कि हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मान लिया है. हम अपने स्टैंड पर कायम हैं. क्योंकि रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का कोई फायदा नहीं है. अयोध्या विवाद राजनीति से प्रेरित है.
वहीं दूसरी ओर बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने रिव्यू पिटिशन के दाखिल होने का स्वागत किया. हाजी महबूब अपनी ही कही बात से पलट गए. हाजी महबूब का कहना है कि मुस्लिम समाज कोर्ट गया है, सुनवाई में जो भी फैसला आएगा उसको देखा जाएगा. याद दिला दें कि हाजी महबूब ने फैसला आने से पहले कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा उसे मानेंगे.
उधर, राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी रिव्यू पिटिशन को गलत ठहराया है. आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि यह अनुचित है और यह पिटिशन अशांत पैदा करने वाली है.
वहीं 'जय श्रीराम' का नारा लगाने वाले हाजी सईद अहमद को बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी का समर्थन मिला है. साथ ही नारे लगाने पर नाराजगी जताने वाले कट्टरपंथी मुस्लिमों पर भी इकबाल अंसारी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. इकबाल अंसारी ने सभी धर्मों का सम्मान करने की भी बात कही है. दरअसल, अयोध्या में हाजी सईद अहमद के 'जय श्रीराम' के नारे लगाने पर कट्टरपंथी मुस्लिमों ने नाराजगी जताई थी. साथ ही मस्जिद में मुफ्ती के सामने माफी मांगने की बात भी सामने आई थी. जिस पर नाराजगी जताते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि 'जय श्रीराम' का नारा लगाने से कोई बुराई नहीं है. सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. ''मैं भी राम का नाम लेता हूं''.
वहीं राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी राम के नाम का नारा लगाने की सजा को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है, यहां कोई भेदभाव नहीं है. राम व रहीम का नाम लेने से कोई बुराई नहीं है. हाजी सईद अहमद को कट्टरपंथियों ने निशाने पर लेकर परेशान किया ये ठीक नहीं है. हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई साथ रहेंगे तो देश का विकास होगा.